BY: Yoganand Shrivastva
खंडवा: मध्य प्रदेश के खंडवा विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी कुंदन मालवीय द्वारा भाजपा विधायक कंचन तनवे के जाति प्रमाण पत्र को लेकर दायर की गई चुनाव याचिका अब अंतिम चरण में है। जबलपुर हाईकोर्ट ने गुरुवार को हुई सुनवाई में कांग्रेस प्रत्याशी को गवाह और सबूत पेश करने का अंतिम अवसर दिया है। यदि अगली पेशी पर भी गवाही पेश नहीं की गई, तो याचिका खारिज की जा सकती है।
क्या है पूरा मामला?
2023 के विधानसभा चुनाव में खंडवा सीट से भाजपा की कंचन तनवे विजयी रहीं। चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस उम्मीदवार कुंदन मालवीय ने आरोप लगाया कि तनवे ने गलत जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया और इसी आधार पर चुनाव को निरस्त करने की याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में दायर की गई।
मालवीय का आरोप है कि तनवे ने प्रमाण पत्र में पिता की जगह पति का नाम दर्ज कराया, जो जाति प्रमाण पत्र की शर्तों के अनुसार गलत है। भारतीय कानून के तहत जाति प्रमाण पत्र और पैन कार्ड जैसे दस्तावेजों में पिता का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज होना चाहिए, चाहे महिला विवाहित हो या नहीं।
कोर्ट में गवाही पेश नहीं कर सके कांग्रेस नेता
गुरुवार को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी न तो कोई गवाह पेश कर सके और न ही कोई पुख्ता साक्ष्य। उल्टा, उन्होंने अपने वकील को बदलने के लिए आवेदन दे दिया। कोर्ट ने उन्हें अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि अगली पेशी पर वे गवाही प्रस्तुत करें, अन्यथा याचिका खारिज कर दी जाएगी।
पहले भी की थी ऐसी ही याचिका, हो चुकी खारिज
यह पहली बार नहीं है जब कुंदन मालवीय ने किसी भाजपा विधायक के खिलाफ चुनाव याचिका दायर की हो। इससे पहले वे पूर्व विधायक देवेंद्र वर्मा के खिलाफ भी याचिका दाखिल कर चुके हैं, लेकिन बार-बार पेशी पर अनुपस्थित रहने के कारण हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था।
विधायक को भी लग चुकी है पेनल्टी
इस केस में विधायक कंचन तनवे को भी पहले एक बार पेश न होने के कारण ₹50,000 का जुर्माना झेलना पड़ा था। हालांकि, ताजा सुनवाई में वे कोर्ट में उपस्थित रहीं। तनवे के वकील देवेंद्र यादव के अनुसार, अगर अगली सुनवाई पर भी याचिकाकर्ता गवाही देने में विफल रहते हैं तो कोर्ट इस याचिका को खारिज कर सकता है।
क्या है जाति प्रमाण पत्र विवाद?
- तनवे ने जिला पंचायत चुनाव के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा दिए गए नोटिस के जवाब में शपथ-पत्र दिया था।
- जाति प्रमाण पत्र में पति का नाम दर्ज था, जबकि नियमों के अनुसार पिता का नाम होना जरूरी है।
- इसी दस्तावेज को विधानसभा चुनाव में भी प्रस्तुत किया गया।
अब आगे क्या?
हाईकोर्ट ने कांग्रेस प्रत्याशी को गवाही देने के लिए एक और मौका दिया है। यदि वे इस अवसर को चूकते हैं, तो उनकी याचिका उसी तरह खारिज हो सकती है, जैसे पूर्व में देवेंद्र वर्मा के खिलाफ हुई थी।