बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने कन्नड़ अभिनेत्री रण्या राव से जुड़े सोना तस्करी मामले में राज्य पुलिस की भूमिका की जांच कर रही अपराध जांच विभाग (CID) की जांच को आधिकारिक रूप से वापस ले लिया है। बुधवार को घोषित इस फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और इसके पीछे के कारणों को लेकर जिज्ञासा बढ़ गई है।
CID को शुरू में उन पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिन पर रण्या राव से जुड़े सोना तस्करी नेटवर्क में शामिल होने का संदेह था। इस मामले ने काफी मीडिया का ध्यान आकर्षित किया था, जिसमें अभिनेत्री के एक अंतरराष्ट्रीय तस्करी गिरोह से जुड़े होने की अटकलें भी शामिल थीं। रण्या राव का नाम इस मामले में सामने आने के बाद, कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने जांच शुरू की थी कि क्या पुलिस अधिकारियों ने अपराध में कोई भूमिका निभाई थी या उसे छिपाने का प्रयास किया था।
हालांकि, अब कर्नाटक सरकार द्वारा इस जांच को रोकने के फैसले से राजनीतिक बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि यह प्रभावशाली लोगों को बचाने का प्रयास हो सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी जांच की पारदर्शिता को लेकर चिंता जताई है और मांग की है कि न्यायिक प्रक्रिया से कोई समझौता न किया जाए। वहीं, पुलिस विभाग के सूत्रों का कहना है कि जांच वापस लेने का मतलब यह नहीं है कि मामला बंद कर दिया गया है, क्योंकि अन्य एजेंसियां अब भी अपनी जांच जारी रख सकती हैं।
अब तक, रण्या राव ने इस मामले में कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। बढ़ते दबाव के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कर्नाटक सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है या जांच वापस लेने के पीछे का कारण स्पष्ट करती है।