BY: Yoganand Shrivastva
नैनीताल (उत्तराखंड): प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कैंची धाम में हर साल 15 जून को लगने वाले स्थापना दिवस मेले के लिए इस बार भी देशभर से लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। इस भीड़भाड़ को नियंत्रित करने और सुचारु व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने ट्रैफिक नियंत्रण की व्यापक योजना तैयार कर ली है।
श्रद्धालुओं की भीड़ से पहले तैयारियां शुरू
कैंची धाम में मेले की शुरुआत से पहले ही भक्तों का पहुंचना शुरू हो जाता है। पिछले वर्षों के अनुभव को देखते हुए प्रशासन ने इस बार भीमताल, हल्द्वानी और भवाली मार्गों पर संभावित जाम से निपटने के लिए एडवांस रणनीति बनाई है।
ट्रैफिक से निपटने के लिए शटल सेवा
जाम की समस्या को कम करने के लिए रोडवेज और केमू बसों को शटल सेवा के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इससे छोटे निजी वाहनों की संख्या सीमित रहेगी और मार्ग पर यातायात नियंत्रित रहेगा।
इस संबंध में एआरटीओ कार्यालय में एक बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें परिवहन विभाग के अधिकारी, टैक्सी यूनियन, और कैंची धाम प्रबंधन समिति के सदस्य शामिल हुए।
कैंची धाम मेला: आस्था और विश्वास का संगम
कैंची धाम हर वर्ष 15 जून को आयोजित होने वाले स्थापना दिवस मेले के लिए विख्यात है। यह स्थल नीम करोली बाबा का तपस्थली रहा है, और लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचकर बाबा के दर्शन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी श्रद्धा से बाबा से मन्नत मांगता है, उसकी कामना जरूर पूरी होती है।
नीम करोली बाबा कौन थे?
नीम करोली बाबा, जिनका वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था, 20वीं सदी के एक महान संत और आध्यात्मिक गुरु थे। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में लगभग 1900 में हुआ था। बाबा हनुमान जी के परम भक्त थे, और उनके अनुयायी उन्हें कलियुग में हनुमान जी का रूप मानते हैं।
- 11 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई थी, लेकिन बाद में उन्होंने साधु जीवन अपना लिया।
- कुछ समय के लिए वे घर लौटे और पारिवारिक जीवन जिया, लेकिन अंततः उन्होंने 1958 में संपूर्ण रूप से संन्यास ले लिया।
- 1964 में उन्होंने नैनीताल के पास कैंची धाम आश्रम की स्थापना की, जो आज एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बन चुका है।
कैंची धाम आश्रम की विशेषताएं
- आश्रम परिसर में हनुमान जी, भगवान राम, शिव और देवी दुर्गा के मंदिर स्थित हैं।
- यह स्थल देश ही नहीं, विदेशों में भी आध्यात्मिक श्रद्धा का केंद्र बन चुका है।
- हर वर्ष 15 जून को आयोजित मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
कैंची धाम मेला 2025 को सफल बनाने के लिए प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर हैं। ट्रैफिक से लेकर श्रद्धालुओं की सुविधा तक हर पहलू को ध्यान में रखते हुए व्यवस्था की जा रही है। यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भक्ति, श्रद्धा और अनुशासन का जीवंत उदाहरण है।





