रिपोर्ट: देवेंद्र जायसवाल
इंदौर, भारत में 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर भारतीय जनता पार्टी ने देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। इसी क्रम में इंदौर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर और मध्यप्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भाग लिया। इस मौके पर दोनों नेताओं ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का “सबसे काला अध्याय” करार दिया।
कार्यक्रम में बोलते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस और खासतौर पर राहुल गांधी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा –
“जो व्यक्ति आज संविधान की किताब जेब में लेकर घूम रहे हैं, उन्हें भारत के लोकतंत्र के 75 वर्षों का इतिहास पढ़ना चाहिए। संविधान की हत्या उनके पूर्वजों ने कई बार की है। केवल नारे और किताब दिखाने से सच्चाई नहीं बदलती।”
नेहरू, धारा 370 और संविधान पर सवाल
विजयवर्गीय ने इतिहास की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश में संविधान की पहली हत्या तब हुई थी जब जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर पर धारा 370 लागू की। उन्होंने कहा –
“श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसका विरोध किया था। बाबा साहब अंबेडकर और सरदार पटेल भी इसके पक्ष में नहीं थे। अंबेडकर ने स्पष्ट कहा था कि धारा 370 देश की एकता और अखंडता के लिए घातक है। यह प्रजातंत्र की आत्मा की हत्या थी।”
इंदिरा गांधी और आपातकाल – दूसरा हमला लोकतंत्र पर
विजयवर्गीय ने 1975 के आपातकाल को संविधान और लोकतंत्र पर दूसरा बड़ा आघात बताया। उन्होंने कहा –
“इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोंट दिया। जनता की आवाज को कुचल दिया गया। न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और प्रेस – सबका दम घोंट दिया गया। जिन्होंने विरोध किया उन्हें या तो जेल भेज दिया गया या फिर राजनीतिक रूप से खत्म कर दिया गया।”
आपातकाल के दुष्परिणामों की याद दिलाई
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर ने भी आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा –
“यह दिन हमें हमेशा याद दिलाता रहेगा कि कैसे सत्ता के लालच में देश की जनता को उसका अधिकार छीन लिया गया। आज भी हमें सतर्क रहना होगा कि ऐसी गलती दोबारा न हो।”