भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर रविवार से एक सप्ताह के यूरोपीय दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरे के दौरान वे फ्रांस, बेल्जियम और यूरोपीय संघ (EU) के नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे और कई महत्वपूर्ण रणनीतिक व आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
यह दौरा विशेष रूप से इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
दौरे के मुख्य बिंदु
- दौरे की अवधि: 1 सप्ताह
- देश: फ्रांस, बेल्जियम
- प्रमुख एजेंडा: रणनीतिक वार्ता, रक्षा सहयोग, आर्थिक साझेदारी, वैश्विक चुनौतियाँ
- पृष्ठभूमि: हालिया ऑपरेशन सिंदूर के बाद का कूटनीतिक प्रयास
भारत-फ्रांस साझेदारी के 25 वर्ष: एक नया अध्याय
जयशंकर दौरे की शुरुआत फ्रांस से करेंगे, जो यूरोप में भारत का सबसे मजबूत और विश्वसनीय साझेदार माना जाता है।
भूमध्यसागरीय रायसीना संवाद (Mediterranean Raisina Dialogue)
वे मार्सिले में आयोजित हो रहे पहले भूमध्यसागरीय रायसीना संवाद में हिस्सा लेंगे, जो दोनों देशों के आपसी संबंधों को और गहराई देगा।
द्विपक्षीय वार्ता और उच्च स्तरीय बैठकें
इस दौरान जयशंकर:
- फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन-नोएल बारोट से मुलाकात करेंगे
- फ्रांस के शीर्ष नेताओं से रणनीतिक बातचीत करेंगे
- प्रमुख थिंक टैंक्स के साथ विचार-विमर्श करेंगे
सैन्य सहयोग: ऑपरेशन सिंदूर में फ्रांस की भागीदारी
भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमा पार आतंकवादियों के ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस मिशन में फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमानों की अहम भूमिका रही।
रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में कदम
भारत अब अपने रक्षा भंडार को और मजबूत करने की दिशा में:
- SCALP मिसाइलों का नया ऑर्डर दे रहा है
- Meteor मिसाइलें खरीदने की तैयारी कर रहा है, जो पाकिस्तान द्वारा उपयोग किए जाने वाले चीनी और अमेरिकी सिस्टम्स से कहीं अधिक उन्नत हैं
बेल्जियम और यूरोपीय संघ के साथ आर्थिक और रणनीतिक वार्ता
दौरे के दूसरे चरण में जयशंकर बेल्जियम और यूरोपीय संघ के साथ:
- व्यापार, निवेश और टेक्नोलॉजी सहयोग को बढ़ावा देंगे
- रणनीतिक वार्ता में भाग लेंगे
- वैश्विक मुद्दों जैसे आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन पर साझा रणनीति बनाने पर जोर देंगे
दौरे का महत्व: भारत के लिए क्यों है अहम
रणनीतिक दृष्टिकोण से:
- आतंकवाद के खिलाफ भारत की कूटनीतिक मुहिम को समर्थन
- रक्षा सहयोग को मजबूती
- वैश्विक मंचों पर साझा रणनीति
आर्थिक लाभ:
- यूरोपीय देशों से निवेश और तकनीक लाने की संभावनाएं
- भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार से जोड़ने में मदद
- व्यापारिक संबंधों में विस्तार
भारत-यूरोप सहयोग का नया युग
डॉ. एस. जयशंकर का यह यूरोपीय दौरा भारत की विदेश नीति में एक नए युग की शुरुआत को दर्शाता है। जब दुनिया अस्थिरता और वैश्विक चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे समय में भारत और यूरोप के बीच सहयोग पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है।
यह दौरा न केवल रणनीतिक संबंधों को गहराई देगा, बल्कि आर्थिक अवसरों और वैश्विक नेतृत्व में भारत की भूमिका को भी सशक्त करेगा।