पाकिस्तान में इन दिनों कुछ ऐसा चल रहा है जो आंखें खोलने वाला है। एक के बाद एक ऐसे लोग संदिग्ध परिस्थितियों में मारे जा रहे हैं, जिनका भारत विरोधी रवैया जगजाहिर रहा है। अब इसी कड़ी में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के कुख्यात कमांडर मौलाना अब्दुल अज़ीज़ ईसर की मौत ने सबको चौंका दिया है।
बहावलपुर में मिला शव, पर चुप हैं अधिकारी
अब्दुल अज़ीज़ की लाश सोमवार को पाकिस्तान के बहावलपुर में रहस्यमयी हालत में पाई गई। जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट्स ने उसकी मौत की पुष्टि की है, लेकिन सरकार, सेना और मीडिया—सब खामोश हैं।
कहा जा रहा है कि अज़ीज़ की मौत हार्ट अटैक से हुई, लेकिन कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है। जिस तरह से उसकी मौत को लेकर रहस्य बना हुआ है, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
कौन था मौलाना अब्दुल अज़ीज़?
- पैदाइश: अशरफवाला गांव, भक्कर जिला, पंजाब प्रांत, पाकिस्तान
- संगठन: जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष आतंकियों में गिना जाता था
- भारत विरोध: भारत के खिलाफ ज़हर उगलने में सबसे आगे रहता था
- साजिशकर्ता: कई बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था
ऑपरेशन सिंदूर के बाद और भड़का था अज़ीज़
भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद अज़ीज़ का गुस्सा चरम पर था। बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के हेड ऑफिस पर हमले के बाद से वह भारत को तोड़ने की धमकियां देने लगा था। पिछले महीने उसने खुलेआम भारत को चेतावनी दी थी और देश को कई हिस्सों में बांटने की गीदड़भभकी दी थी।
दफनाया गया, पर मौत पर पर्दा क्यों?
अज़ीज़ को उसके पैतृक गांव नूर अशरफवाला में दफनाया गया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है—आख़िर पाकिस्तान सरकार और सेना उसकी मौत पर चुप क्यों है?
क्या यह वाकई हार्ट अटैक था, या फिर जैश के भीतर की कोई अंदरूनी सफाई? या फिर यह किसी बड़े ऑपरेशन का हिस्सा है, जहां अब भारत विरोधी तत्वों को धीरे-धीरे रास्ते से हटाया जा रहा है?
मौत रहस्यमयी है, लेकिन संकेत साफ हैं
अब्दुल अज़ीज़ की मौत महज़ एक मौत नहीं, बल्कि संकेत है कि पाकिस्तान में कुछ बड़ा बदल रहा है। खासकर उन लोगों के लिए जो भारत विरोध और आतंक की ज़ुबान बोलते हैं। जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के लिए यह एक बड़ा झटका है।