पिछले कुछ वर्षों से भगवान जगन्नाथ के रथ में विमान के टायरों का उपयोग होता आ रहा है। अब तक Boeing 747 विमान के टायर इस्तेमाल किए जाते थे, जो अब मिलना मुश्किल हो गया है क्योंकि ये विमान अब चलन में नहीं हैं।
खोज की कहानी:
- लगभग 20 वर्षों तक चली खोज के बाद एक उपयुक्त विकल्प के रूप में सुखोई Su-30MKI फाइटर जेट के टायरों को चुना गया।
- इन टायरों का व्यास 4 फीट है और प्रत्येक टायर का वजन लगभग 110 किलोग्राम है।
- ये वही टायर हैं जो 280 किमी/घंटा की रफ्तार से रनवे पर दौड़कर विमान को उड़ान भरने में सक्षम बनाते हैं।
तकनीकी अपग्रेड की जरूरत क्यों पड़ी?
2024 की रथ यात्रा में स्टीयरिंग की तकनीकी समस्या सामने आई थी, जिससे रथ यात्रा की सुगमता प्रभावित हुई थी। इसी कारण इस साल रथ में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं ताकि यात्रा सुरक्षित और निर्बाध रूप से पूरी हो सके।
पुराने टायरों की समस्याएं:
- पुराने टायर Boeing 747 के थे, जिनका निर्माण अब बंद हो चुका है।
- लगातार उपयोग से उनकी मजबूती पर असर पड़ा था।
MRF का योगदान:
- MRF कंपनी, जो भारत में सुखोई जेट के टायर बनाती है, ने विशेष रूप से ISKCON को ये टायर उपलब्ध कराए हैं।
- पहले कंपनी को यह विश्वास नहीं हुआ कि ऐसे टायर रथ में उपयोग होंगे, लेकिन निरीक्षण के बाद वे सहमत हो गए।
भक्तों के लिए राहत: टायरों से मिलेगी ज्यादा स्थिरता
नई तकनीक का उपयोग केवल सजावट तक सीमित नहीं है, इसका सीधा असर रथ यात्रा के संचालन और भक्तों की सुविधा पर होगा।
फायदे:
- बेहतर स्थिरता और नियंत्रण: कोलकाता की सड़कों पर जहां ट्राम की पटरियां हैं, वहां रथ को नियंत्रित करना अब आसान होगा।
- कम होगी तकनीकी खराबी: नए टायरों की मजबूती रथ यात्रा को निर्बाध बनाएगी।
- भक्तों पर कम जोर: भारी और मजबूत टायरों के चलते भक्तों को रथ खींचने में कम मेहनत लगेगी।
पारंपरिक संरचना पूरी तरह सुरक्षित
रथ की पारंपरिक लकड़ी और लोहे की बनावट को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया गया है।
किए गए बदलाव:
- केवल पहिया ड्रम, बेस फ्रेम और एक्सल फिटिंग में कुछ हल्के परिवर्तन किए गए हैं ताकि सुखोई के टायरों को फिट किया जा सके।
- बाकी रथ का निर्माण उसी पारंपरिक शैली में बरकरार है, जैसा दशकों से होता आ रहा है।
अन्य रथों में भी तकनीकी बदलाव
बलराम जी का रथ:
- इस रथ के सभी चार पहियों को 2024 में बदला गया।
- प्रत्येक पहिया 6 फीट का और 250 किलो वजनी है।
- ये पहिए 5 टन के रथ को आसानी से खींचते हैं।
सुभद्रा जी का रथ:
- इसमें स्टील के बने पहिए हैं जो अभी अच्छी स्थिति में हैं और अगले कुछ वर्षों तक चलने की उम्मीद है।
यात्रा की तैयारी अंतिम चरण में
नए टायर लगाने का कार्य जून के दूसरे सप्ताह तक पूरा हो जाएगा ताकि रथ यात्रा से पहले सारी तैयारी संपन्न हो सके। सबसे बड़ी चुनौती यही है कि नए टायर परंपरागत ढांचे के साथ समन्वय में फिट हों और किसी तरह का तकनीकी व्यवधान न आए।