ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ परमाणु कार्यक्रम को लेकर सीधी वार्ता से इनकार कर दिया है। हालांकि, उन्होंने ओमान के माध्यम से परोक्ष बातचीत की संभावना को खुला रखा है।
ट्रंप का धमकी भरा बयान
ट्रंप ने एनबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, “अगर ईरान समझौता नहीं करता, तो हम बमबारी करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर ईरान वार्ता के लिए राजी नहीं हुआ, तो वह द्वितीयक टैरिफ लगा सकते हैं।
ईरान की शर्तें
पेजेशकियन ने कहा कि ईरान वार्ता के सिद्धांत के खिलाफ नहीं है, लेकिन अमेरिका को पहले अपने पिछले गलत व्यवहार को सुधारना होगा और भरोसा बहाल करना होगा।

क्यों नहीं चाहता ईरान सीधी बातचीत?
- ट्रंप ने 2018 में परमाणु समझौते (JCPOA) से अमेरिका को अलग कर लिया था।
- ईरान का मानना है कि अमेरिका भरोसे के लायक नहीं है।
- ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने भी ट्रंप के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
अमेरिका की तैयारियाँ
- अमेरिका ने डिएगो गार्सिया पर अतिरिक्त बमवर्षक तैनात किए हैं।
- एक और एयरक्राफ्ट कैरियर को क्षेत्र में भेजा जा रहा है।
- विश्लेषकों का मानना है कि अगर वार्ता नहीं हुई, तो अमेरिका इजरायल के साथ मिलकर सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
ईरान की आर्थिक स्थिति
- अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरान की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है।
- ईरानी करेंसी में भारी गिरावट आई है।
- मुद्रास्फीति और बेरोजगारी चरम पर है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
बारबरा स्लेविन (स्टिमसन सेंटर) के अनुसार:
- “ईरानी सही हैं जो ट्रंप पर भरोसा नहीं कर रहे।”
- “ईरान को सैन्य हमले से ज्यादा आर्थिक प्रतिबंधों की चिंता है।”
ईरान का अंतिम रुख
ईरान के सलाहकार कमाल खर्राजी ने कहा कि ईरान ने वार्ता के सभी दरवाजे बंद नहीं किए हैं। वह अमेरिका के साथ परोक्ष बातचीत के लिए तैयार है, ताकि दूसरे पक्ष की शर्तों को समझा जा सके।