दुनिया में इन दिनों ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर फिर से हलचल तेज हो गई है। अमेरिका, पाकिस्तान और ईरान के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ता दिख रहा है। हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पाकिस्तान को फोन कर यह साफ संदेश दिया कि ईरान के पास किसी भी हाल में न्यूक्लियर हथियार नहीं पहुंचने चाहिए। इस फोन कॉल ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है।
इस लेख में हम समझेंगे कि यह पूरा मामला क्या है, अमेरिका को क्यों चिंता है, ईरान का यूरेनियम कहां गया, पाकिस्तान की इसमें क्या भूमिका हो सकती है और इसके पीछे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है।
अमेरिका को किस बात की चिंता है?
- अमेरिका को आशंका है कि ईरान ने बड़ी मात्रा में संवर्धित यूरेनियम (Enriched Uranium) कहीं छुपा दिया है।
- न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान का 880 पाउंड यूरेनियम गायब है, जिसे 60% तक संवर्धित किया जा चुका है।
- गौर करने वाली बात यह है कि यदि यूरेनियम को 60% तक एनरिच कर दिया जाता है, तो उसे 90% तक ले जाकर न्यूक्लियर बम बनाने में बहुत कम समय लगता है।
यूरेनियम की वैज्ञानिक समझ
यूरेनियम दो मुख्य प्रकार का होता है:
- U-238: बम बनाने में बेकार।
- U-235: बम बनाने के लिए जरूरी, जो प्राकृतिक यूरेनियम में केवल 0.7% मात्रा में पाया जाता है।
न्यूक्लियर बम बनाने के लिए U-235 को 90% शुद्धता तक पहुंचाना पड़ता है, जिसे ‘हाईली एनरिच्ड यूरेनियम’ कहा जाता है। इस प्रक्रिया में समय और अत्याधुनिक तकनीक लगती है।
ईरान ने 60% तक यूरेनियम को एनरिच कर लिया है, जो कि चिंता का विषय है। 60% से 90% तक पहुंचने में बहुत कम समय लगता है। यही वजह है कि अमेरिका और इजराइल दोनों ही इस पर नजर बनाए हुए हैं।
पाकिस्तान पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
अमेरिका की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि इतिहास में पाकिस्तान की भूमिका ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम में रह चुकी है।
2003 में हुआ बड़ा खुलासा:
- द गार्जियन और न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट्स में यह सामने आया था कि पाकिस्तान के वैज्ञानिक डॉ. ए.क्यू. खान ने ईरान को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की थी।
- इसके बाद पाकिस्तान ने दुनिया के सामने यह बात स्वीकार भी की थी।
क्या इतिहास खुद को दोहरा सकता है?
- ओसामा बिन लादेन की पाकिस्तान में मौजूदगी ने पहले ही दुनिया में पाकिस्तान की छवि को संदेहास्पद बना दिया था।
- अब आशंका यह है कि कहीं ईरान ने अपना संवर्धित यूरेनियम पाकिस्तान के बलूचिस्तान या ईरान-पाकिस्तान बॉर्डर पर छुपा न दिया हो।
- यही कारण है कि अमेरिका ने सीधे पाकिस्तान से बात की है।
इजराइल का नजरिया
इजराइल भी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है। इजराइल के खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ की टीमें लगातार यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि ईरान का संवर्धित यूरेनियम कहां छुपाया गया है।
इजराइल की चिंता इसलिए भी है क्योंकि अगर ईरान के पास न्यूक्लियर हथियार आ जाते हैं, तो सीधे इजराइल की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगेगा।
अमेरिका की रणनीति में पाकिस्तान अहम क्यों?
कई जानकारों का मानना है कि अमेरिका पाकिस्तान को पूरी तरह कमजोर नहीं करना चाहता क्योंकि इससे भारत की क्षेत्रीय ताकत और प्रभाव काफी बढ़ सकता है, जो अमेरिका की रणनीतिक चिंताओं में शामिल है।
अमेरिका की दोहरी नीति पर सवाल
- एक ओर अमेरिका पाकिस्तान को चेतावनी दे रहा है।
- दूसरी ओर, खबरें हैं कि अमेरिका ईरान को 30 बिलियन डॉलर देकर यह गारंटी लेना चाहता है कि वह न्यूक्लियर हथियार नहीं बनाएगा।
यानी अमेरिका की नीति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
क्या फिर भड़केगा ईरान-इजराइल संघर्ष?
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि कभी भी ईरान और इजराइल के बीच बड़ा युद्ध छिड़ सकता है। अगर ईरान अपने गायब यूरेनियम के जरिए जल्दबाजी में न्यूक्लियर टेस्ट करता है, तो इसकी सबसे ज्यादा कीमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ सकती है।