BY: MOHIT JAIN
भारतीय नौसेना आईएनएस अंद्रोथ को आज विशाखापत्तनम नौसेना डॉकयार्ड में सेवा में शामिल करेगी। यह एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) सीरीज़ का दूसरा जहाज है। इसे कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने निर्मित किया है, और इसमें 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है।
पूर्वी नौसैन्य कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल राजेश पेंढरकर भी इस अवसर पर मौजूद रहेंगे।
अंद्रोथ का नाम और इतिहास

इस जहाज का नाम लक्षद्वीप के अंद्रोथ द्वीप के नाम पर रखा गया है। इससे पहले भी नौसेना में आईएनएस अंद्रोथ (P69) था, जिसने 27 साल तक सेवा दी। नया अंद्रोथ उसी परंपरा को आगे बढ़ाएगा।
आईएनएस अंद्रोथ की विशेषताएँ
- एंटी-सबमरीन वारफेयर: दुश्मन की पनडुब्बियों को पकड़ने और नष्ट करने की क्षमता।
- तटीय सुरक्षा और समुद्री निगरानी: उथले जल क्षेत्रों में खतरों से निपटने में सक्षम।
- खोज और बचाव अभियान: समुद्र में आपातकालीन मदद और बचाव कार्य कर सकता है।
- आधुनिक हथियार और सेंसर: नौसेना की सामरिक क्षमता में वृद्धि।
भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत
आईएनएस अंद्रोथ के शामिल होने से भारतीय नौसेना की एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमता और तटीय सुरक्षा मजबूत होगी। हाल ही में नौसेना में शामिल हुए अर्नाला, निस्तार, उदयगिरी, निलगिरी और अब आईएनएस अंद्रोथ जैसे युद्धपोत देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और आत्मनिर्भर नौसेना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।