भारत ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है – दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव। लेकिन जब बात निर्यात (Exports) की आती है, तो तस्वीर थोड़ी अलग है। भारत का एक्सपोर्ट भले ही तेज़ी से बढ़ रहा हो, लेकिन चीन और अन्य विकसित देशों के मुकाबले हम अब भी पीछे हैं।
वर्ष 2025 तक भारत का कुल एक्सपोर्ट 1 ट्रिलियन डॉलर को छू सकता है, जो एक बड़ा मील का पत्थर होगा। लेकिन क्या यह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए काफी है?
2025 में भारत के एक्सपोर्ट का नया रिकॉर्ड
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के मुताबिक:
- कुल अनुमानित एक्सपोर्ट: $1 ट्रिलियन
- वस्तु निर्यात (Merchandise Export): $525–535 बिलियन (12% की बढ़ोतरी)
- सेवा निर्यात (Service Export): $465–475 बिलियन (20% की बढ़ोतरी)
2024-25 में अब तक का प्रदर्शन:
- कुल एक्सपोर्ट: $824.9 बिलियन
- 2023-24 के मुकाबले वृद्धि: 6.01%
- सेवा क्षेत्र: $387.5 बिलियन (13.6% की ग्रोथ)
- गैर-पेट्रोलियम वस्तुओं का एक्सपोर्ट: $374.1 बिलियन (6% की वृद्धि)
इन आंकड़ों से साफ है कि भारत का निर्यात क्षेत्र अब मजबूती की ओर बढ़ रहा है, खासकर आईटी, वित्तीय सेवाएं और ट्रैवल जैसे क्षेत्रों में।
ग्लोबल ट्रेड एग्रीमेंट्स से उम्मीदें बढ़ीं
भारत ने हाल के वर्षों में कई Free Trade Agreements (FTA) पर काम तेज़ किया है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच आसान हो रही है:
- ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौता पूरा हो चुका है
- अमेरिका के साथ प्रारंभिक FTA अगले 1 महीने में होने की उम्मीद
ट्रेड एग्रीमेंट्स से फायदे:
- नए बाज़ारों में प्रवेश आसान
- टैक्स और ड्यूटीज़ में कटौती
- सप्लाई चेन में सुधार
- निवेश और तकनीक का प्रवाह
भारत को एक्सपोर्ट सुपरपावर बनाने के लिए क्या ज़रूरी है?
FIEO अध्यक्ष एस.सी. रल्हन के अनुसार, अगर भारत को चीन जैसी एक्सपोर्ट सुपरपावर बनना है तो उसे कुछ खास रणनीतियों पर काम करना होगा:
1. उभरते बाज़ारों में विस्तार
- सिर्फ पारंपरिक साझेदारों पर निर्भर न रहना
- लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, और सेंट्रल एशिया में संभावनाएं खोजना
2. कच्चे माल की बजाय वैल्यू-एडेड उत्पादों पर फोकस
- इससे मुनाफा बढ़ता है और एक्सपोर्ट की गुणवत्ता भी
- टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा में अपग्रेड की ज़रूरत
3. इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स में सुधार
- बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाना
- सड़क और रेल कनेक्टिविटी को दुरुस्त करना
- माल भाड़ा (freight cost) घटाना
4. ग्लोबल क्वालिटी स्टैंडर्ड्स के अनुसार निर्माण
- “Make in India” से “Make in India for the World” की ओर बढ़ना
- ISO, CE और अन्य सर्टिफिकेशन को प्राथमिकता देना
भारत बनाम चीन: कितना बड़ा है अंतर?
भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है, लेकिन चीन से मुकाबले में हम अभी भी काफी पीछे हैं।
| देश | कुल एक्सपोर्ट (2024) |
|---|---|
| चीन | $3.51 ट्रिलियन |
| अमेरिका | $3.05 ट्रिलियन |
| जर्मनी | $2.10 ट्रिलियन |
| यूके | $1.07 ट्रिलियन |
| फ्रांस | $1.05 ट्रिलियन |
| भारत | $773–824.9 बिलियन |
चीन आज 125 देशों का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है – वहीं भारत अभी शुरुआती पायदान पर है।
भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर भी चीन ही है, जिससे यह चुनौती और भी रोचक बन जाती है।
क्या भारत चीन को पछाड़ सकता है?
भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है और निर्यात में भी अच्छी प्रगति हो रही है। लेकिन अगर हमें चीन, अमेरिका या जर्मनी जैसी एक्सपोर्ट महाशक्तियों के बराबर पहुंचना है, तो कुछ अहम कदम उठाने होंगे:
- उद्योगों में वैल्यू एडिशन
- FTA को तेज़ी से लागू करना
- बिजनेस फ्रेंडली नीतियों पर ज़ोर
- नवाचार और तकनीक में निवेश





