
Isa Ahmad
जिम्मेदारों की मिलीभगत से चल रहा अवैध परिवहन नेटवर्क
भारत-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा सोनौली बॉर्डर पर इन दिनों अवैध बसों का धंधा जोरों पर चल रहा है। रोडवेज स्टेशन से कुछ ही मीटर की दूरी पर बनी अवैध बस पार्किंग से प्रतिदिन दो दर्जन से अधिक बसें यात्रियों को लेकर निकलती हैं। बताया जा रहा है कि यह सब कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की साठगांठ से संभव हो रहा है।
जानकारी के अनुसार, टूर परमिट पर चलने वाली कई बसें अब खुलेआम अवैध यात्री परिवहन में लिप्त हैं। ये बसें बिना वैध परमिट और टैक्स चुकाए नेपाल से आने वाले यात्रियों को दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ और कानपुर जैसे बड़े शहरों तक ले जाती हैं।
इन अवैध बसों के जरिए हर महीने लाखों रुपये का चूना रोडवेज विभाग को लगाया जा रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी कभी-कभार एक-दो गाड़ियां पकड़कर खाना-पूर्ति कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं।
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे अवैध नेटवर्क में स्थानीय एजेंटों की सक्रिय भूमिका है, जो नेपाल से आने वाले यात्रियों को गुमराह कर उनसे मनमाना किराया वसूलते हैं। यात्रियों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे अधिकृत बसों में सफर कर रहे हैं, जबकि सच्चाई इसके विपरीत होती है।
क्षेत्रीय प्रबंधक, गोरखपुर की ओर से इस अवैध संचालन पर कई बार संबंधित विभागों को पत्र भेजकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नतीजतन, अवैध बसों का यह कारोबार अब और भी संगठित और बेखौफ हो गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने अब भी सख्ती नहीं दिखाई, तो आने वाले दिनों में यह अवैध परिवहन नेटवर्क और मजबूत हो जाएगा, जिससे न केवल सरकार को भारी आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
फिलहाल, सोनौली बॉर्डर पर इस अवैध बस कारोबार ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह देखना बाकी है कि अधिकारी इस खुली मिलीभगत और भ्रष्टाचार पर कब अंकुश लगाते हैं।






 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		