बेंगलुरु में एक और किरायेदारी विवाद सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। IIT ग्रेजुएट और स्टार्टअप फाउंडर श्रवण टिक्कू ने एक LinkedIn पोस्ट में बताया कि कैसे उनके मकान मालिक ने ₹1.5 लाख के डिपॉजिट में से सिर्फ 40% ही लौटाया। इस पोस्ट ने हजारों नेटिज़न्स को झकझोर दिया, जिन्होंने अपने भी ऐसे ही अनुभव साझा किए।
क्या है पूरा मामला?
श्रवण टिक्कू ने बेंगलुरु में एक घर किराये पर लिया था, जिसके लिए उन्होंने ₹1.5 लाख की डिपॉजिट राशि दी थी। जब वह घर छोड़ रहे थे, तो उन्हें उम्मीद थी कि अधिकतर राशि उन्हें वापस मिल जाएगी। लेकिन उन्हें केवल ₹60,000 लौटाया गया।
डिडक्शन का विवरण:
- ₹55,000 पेंटिंग के नाम पर
- ₹25,000 कुछ “अनक्लियर डैमेज” के लिए
- ₹2,000 लिफ्ट इस्तेमाल करने के लिए
श्रवण ने लिखा,
“जब अपने ही शहर में, अपने ही घर में अनवांटेड महसूस हो, तो बहुत तकलीफ होती है।”
भाषा बनी बड़ी रुकावट
श्रवण ने बताया कि उनकी मकान मालकिन केवल कन्नड़ भाषा बोलती थीं और कभी सीधे संवाद नहीं किया। हर जानकारी बिल्डिंग मैनेजर के ज़रिए ही दी जाती थी। उन्होंने पहले से ही सुन रखा था कि यह मकान मालिक पहले भी किरायेदारों से इसी तरह का व्यवहार कर चुकी हैं।
नेटिज़न्स का रिएक्शन
इस पोस्ट पर हजारों लोगों ने कमेंट किया और अपनी नाराज़गी जताई:
- एक यूज़र ने लिखा, “मैंने सोसायटी का नाम पढ़ते ही अंदाजा लगा लिया। ये बार-बार हो रहा है, अब हर डिपॉजिट और डैमेज क्लॉज की राइटिंग में डील होनी चाहिए।”
- दूसरे यूज़र ने कहा, “ऐसे लालची मकान मालिकों को कर्म का फल जरूर मिलेगा।”
- कुछ ने मकान और बिल्डिंग का नाम पब्लिक करने की मांग की ताकि लोग बच सकें।
बेंगलुरु में किरायेदारी का बढ़ता तनाव
- डिपॉजिट रिफंड से जुड़े विवाद आम हो गए हैं।
- भाषाई असमानता संवाद में बाधा बन रही है।
- प्रॉपर्टी एग्रीमेंट में पारदर्शिता की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा है।
सोशल मीडिया पर बोले लोग
- एक यूज़र ने लिखा: “बेंगलुरु अब लॉस्ट केस बन गया है। यहां भाषा की दीवार गैर-कन्नड़ भाषी लोगों को परेशान करती है।”
- एक अन्य यूज़र: “मकान मालिक जैसे दुश्मन मिल जाएं, तो किराये पर रहना दुखद अनुभव बन जाता है।”
निष्कर्ष: किरायेदारों को सावधानी बरतने की ज़रूरत
बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में रियल एस्टेट की तेजी के साथ मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच भरोसे की खाई भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि:
- किराया और डिपॉजिट की हर शर्त लिखित में हो।
- मकान मालिक यदि कटौती करें तो उसका सपोर्टिंग बिल/इनवॉइस होना चाहिए।
- किरायेदारों को फोटोज/वीडियोज से एग्ज़िट डॉक्यूमेंटेशन करना चाहिए।