BY: Yoganand Shrivastva
वृंदावन स्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सोमवार को कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने मंदिर को “निजी धार्मिक संस्था” बताने वाली याचिकाओं पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूछा, “जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, वह स्थल निजी कैसे माना जा सकता है?” सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मंदिर का प्रबंधन भले ही निजी हाथों में हो, लेकिन भगवान किसी के निजी नहीं हो सकते।
क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश लाकर बांके बिहारी मंदिर के संचालन से जुड़ी व्यवस्था को एक ट्रस्ट के माध्यम से संचालित करने की पहल की थी। इस कदम को याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, उनका कहना है कि यह मंदिर एक निजी धार्मिक संस्था है और सरकार इसके प्रशासन में दखल देकर परोक्ष रूप से नियंत्रण करना चाहती है।
याचिकाकर्ता की दलील: मंदिर निजी संपत्ति
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए मंदिर को निजी संस्था बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मंदिर के धन का इस्तेमाल राज्य की भूमि खरीदने में करना चाहती है। उनका कहना था कि यह राज्य द्वारा हमारे धन पर नियंत्रण करने की कोशिश है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
इस पर जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “आप एक धार्मिक स्थल को निजी बता रहे हैं, ये एक भ्रांति है। लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा मंदिर निजी नहीं हो सकता। सिर्फ प्रबंधन निजी हो सकता है, लेकिन देवता कभी निजी नहीं हो सकते।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मंदिर की आय केवल ट्रस्ट के लिए नहीं होती, बल्कि इसका उपयोग मंदिर के संरक्षण और विकास कार्यों के लिए भी होना चाहिए।
अंतरिम व्यवस्था और सुझावों पर चर्चा
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी संकेत दिए कि मंदिर की व्यवस्था के लिए अंतरिम प्रबंध के रूप में एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट या वरिष्ठ जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जा सकती है, जो मंदिर के संचालन की निगरानी करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि फिलहाल अध्यादेश की संवैधानिकता पर कोई अंतिम टिप्पणी नहीं की जा रही है, लेकिन धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के नजरिए से तिरुपति और शिरडी जैसे उदाहरणों पर विचार किया जाना चाहिए।
अगली सुनवाई 5 अगस्त को
इस महत्वपूर्ण मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 5 अगस्त को सुबह 10:30 बजे होगी। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से मंदिर संचालन और भक्तों की सुविधा को लेकर ठोस सुझाव मांगे हैं।