जब आसमान से मौत उतरी: 6 अगस्त 1945 की सुबह
6 अगस्त 1945, सुबह 7:30 बजे जापान के हिरोशिमा शहर में रडार अलार्म बजा। यह अलार्म सामान्य लग रहा था—शहर में सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा था:
- बच्चे स्कूल के लिए तैयार हो रहे थे।
- महिलाएं नाश्ता बना रही थीं।
- पुरुष ऑफिस जाने की तैयारी कर रहे थे।
सुबह 8:15 बजे, एक अमेरिकी B-29 विमान ‘Enola Gay’ हिरोशिमा के ऊपर दिखाई दिया। यह आम विमान जैसा ही लग रहा था, लेकिन इसके पेट में छिपा था ‘Little Boy’ नाम का परमाणु बम।
बम गिराया गया और कुछ ही सेकंड में पूरा शहर आग के गोले में तब्दील हो गया।
- करीब 70,000 से 80,000 लोग उसी दिन मारे गए।
- कई लोगों की परछाइयां दीवारों पर जमी रह गईं।
- हजारों लोग सेकेंडों में भाप बन गए।
- इमारतें, सड़कें, पेड़, पशु-पक्षी—सब कुछ जलकर राख हो गया।
तीन दिन बाद फिर कहर: 9 अगस्त को नागासाकी पर हमला
जब जापान हिरोशिमा की तबाही को समझ भी नहीं पाया था, 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम ‘Fat Man’ नागासाकी पर गिरा दिया।
- इस बम का मूल निशाना कोकुरा शहर था, लेकिन मौसम खराब होने के कारण लक्ष्य बदला गया।
- 11:02 बजे, नागासाकी में यह बम गिराया गया।
- 75,000 से ज्यादा लोग मारे गए।
अमेरिका ने जापान पर बम क्यों गिराए?
यह सवाल आज भी दुनिया पूछती है। क्या ये सिर्फ युद्ध को खत्म करने का तरीका था या फिर शक्ति प्रदर्शन?
संभावित कारण:
- जापान की युद्ध नीति: जापान कई एशियाई देशों को कब्जे में ले रहा था।
- पर्ल हार्बर हमला (7 दिसंबर 1941): जापान ने अमेरिका के नौसेना बेस पर हमला किया था, जिसमें 2400+ लोग मारे गए।
- तेल प्रतिबंध: अमेरिका ने जापान पर तेल का बहिष्कार लगाया था।
- साइकोलॉजिकल दबाव: अमेरिका जापान को बिना जमीनी युद्ध के आत्मसमर्पण पर मजबूर करना चाहता था।
परमाणु बमों का वैज्ञानिक पक्ष
अमेरिका ने तीन परमाणु बम बनाए थे:
- Little Boy (यूरेनियम-235 से बना)
- Thin Man (प्लूटोनियम से बना, लेकिन अस्थिर)
- Fat Man (प्लूटोनियम-239 से बना)
Little Boy को हिरोशिमा पर, और Fat Man को नागासाकी पर गिराया गया।
बमों के प्रभाव और जापान का आत्मसमर्पण
- 14 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया।
- 2 सितंबर 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ।
- लेकिन युद्ध का असर यहीं खत्म नहीं हुआ।
दीर्घकालिक प्रभाव:
- कैंसर, जन्मदोष, त्वचा रोग और मानसिक बीमारियों में पीढ़ियों तक इजाफा।
- हजारों बच्चे अनाथ हो गए।
- पूरा समाज मानसिक आघात में चला गया।
जापान कैसे फिर खड़ा हुआ?
अमेरिका ने युद्ध के बाद जापान को फिर से खड़ा करने में मदद की:
- टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्री और एजुकेशन में निवेश।
- जापान ने 20–30 सालों में खुद को फिर से दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल कर लिया।
- आज जापान और अमेरिका करीबी मित्र देश हैं।
विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि: एक झलक
- 1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ, जिसमें यूरोपीय शक्तियां एक-दूसरे से भिड़ गईं।
- 1918 में युद्ध खत्म हुआ लेकिन जर्मनी को भारी जुर्माना भुगतना पड़ा।
- हिटलर सत्ता में आया और 1939 में पोलैंड पर हमला कर WWII की शुरुआत कर दी।
- जापान, जर्मनी और इटली बने Axis Powers, वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और रूस बने Allied Powers।
पर्ल हार्बर: अमेरिका की एंट्री का कारण
- 7 दिसंबर 1941, जापान ने पर्ल हार्बर पर हमला कर अमेरिका को युद्ध में घसीटा।
- इसके बाद अमेरिका ने 1941 से 1945 तक जापान से कई निर्णायक लड़ाइयां लड़ीं।
- आखिरकार, परमाणु बम को युद्ध समाप्ति का अंतिम हथियार चुना गया।
निष्कर्ष: युद्ध में कोई विजेता नहीं होता
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले ने इतिहास की सबसे काली स्याही से इंसानियत की गलती लिख दी।
यह केवल दो शहरों की बर्बादी नहीं थी, बल्कि पूरी सभ्यता को हिला देने वाला हमला था।
लेकिन यही जापान, कुछ दशकों में फिर से सपनों की अर्थव्यवस्था बना। यह दिखाता है कि नाश के बाद भी निर्माण संभव है—यदि नेतृत्व, दूरदृष्टि और सहयोग सही हो।
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