📰 मुख्य बातें
- राज ठाकरे ने हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के प्रयासों पर नाराज़गी जताई
- चेतावनी: पहली से पांचवीं तक हिंदी पढ़ाई गई तो स्कूल बंद करवा देंगे
- भाजपा सरकार की त्रिभाषा नीति पर उठाए सवाल
- मराठी भाषा को प्राथमिकता देने की मांग
📌 विवाद की जड़: हिंदी बनाम मराठी
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य करने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि यह निर्णय लागू हुआ तो मनसे राज्य भर में स्कूल बंद करवाने तक का कदम उठा सकती है।
राज ठाकरे ने शुक्रवार को मीरा-भायंदर में एक सभा को संबोधित करते हुए यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की पहचान मराठी से है और हिंदी थोपी गई तो इसका विरोध पूरे राज्य में ज़ोर पकड़ लेगा।
🎯 त्रिभाषा नीति पर सवाल
राज ठाकरे का कहना है कि त्रिभाषा नीति के नाम पर हिंदी थोपने की साजिश की जा रही है। उन्होंने पूछा कि यदि केंद्र और राज्य सरकारें स्थानीय भाषा की रक्षा नहीं करेंगी तो कौन करेगा?
“अगर आप (सरकार) हिंदी को अनिवार्य करेंगे, तो हम स्कूल बंद करवा देंगे। जैसे हमने दुकानें बंद करवाई थीं, वैसे ही स्कूल भी बंद होंगे।”
🧠 इतिहास का तर्क: मराठी बनाम हिंदी
ठाकरे ने मराठी भाषा की विरासत को उजागर करते हुए कहा:
- मराठी का इतिहास 2500 से 3000 साल पुराना है
- हिंदी केवल 200 साल पुरानी है
उन्होंने कहा कि इस तरह की जबरदस्ती का असली मकसद मुंबई को गुजरात से जोड़ना है, और यह हिंदी के माध्यम से सांस्कृतिक बदलाव की कोशिश है।
🧾 फडणवीस सरकार की सफाई
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान दिया है कि सरकार त्रिभाषा नीति लागू करेगी, लेकिन यह अभी तय नहीं हुआ कि हिंदी पहली कक्षा से पढ़ाई जाएगी या पांचवीं से। इसके लिए एक समिति गठित की गई है, जो इस मुद्दे का अध्ययन करेगी।
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🗣️ मनसे का इतिहास और मौजूदा रुख
इससे पहले भी मनसे कार्यकर्ता मराठी भाषा को लेकर आक्रामक रुख दिखा चुके हैं। हाल ही में एक दुकानदार से मारपीट हुई क्योंकि उसने मराठी में बात करने से इनकार कर दिया था।
राज ठाकरे ने लोगों से आग्रह किया कि वे महाराष्ट्र में मराठी बोलने पर गर्व करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
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⚔️ राजनीतिक बयानबाज़ी: निशिकांत दुबे को चुनौती
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ‘पटक-पटक के मारेंगे’ वाली टिप्पणी पर ठाकरे ने पलटवार करते हुए कहा:
“मुंबई आकर दिखाओ, हम डुबो-डुबो के मारेंगे।”
उन्होंने स्वतंत्रता के बाद मोरारजी देसाई और वल्लभभाई पटेल के मराठी विरोधी रुख का भी उल्लेख किया।
📌 निष्कर्ष: भाषा नहीं, अस्मिता का सवाल
राज ठाकरे का विरोध केवल भाषा तक सीमित नहीं है, यह महाराष्ट्र की अस्मिता का मामला है। उनका साफ संदेश है कि मराठी संस्कृति से समझौता नहीं किया जाएगा।
सरकार की त्रिभाषा नीति और प्राथमिक शिक्षा में हिंदी को अनिवार्य करने की योजना को लेकर राज्य में नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।





