हजारीबाग (केरेडारी, झारखंड) – पचड़ा पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय जोरदाग की बदहाल स्थिति ने ग्रामीणों और अभिभावकों को प्रदर्शन के लिए मजबूर कर दिया है। स्कूल का पुराना भवन बिना वैकल्पिक इंतजाम के तोड़ा जा रहा है, जिसके कारण अब पढ़ाई पूरी तरह रुक गई है और सैंकड़ों बच्चों का भविष्य संकट में है।
क्या हुआ?
- स्कूल का पुराना भवन अचानक तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई – इसमें बैठने के लिए बेंच-देस्क भी निकालकर मैदान में फेंक दिए गए।
- भवन वीरान होने की वजह से पढ़ाई ठप हो चुकी है, जिससे २०० से ज्यादा बच्चों की शिक्षा प्रभावित है।
ग्रामीणों का विरोध
- रविवार को दर्जनों ग्रामीण स्कूल के बाहर धरना प्रदर्शन पर बैठ गए।
- उन्होंने साफ मांग रखी:
- “पहले नया स्कूल भवन बनाओ, फिर पुराना टूटे।”
- ग्रामीणों का आरोप है कि खानन कंपनियों और स्थानीय अधिकारियों के बीच मिलीभगत के कारण यह अचानक निर्णय लिया गया।
कारण और विवाद
- सीसीएल (चंद्रगुप्त परियोजना) ने पत्र जारी किया था कि जोरदाग विद्यालय को परियोजना क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित किया जाए, न कि गांव में टोला तोड़कर उसकी जगह निर्माण कार्य हो।
- लेकिन जहाँ जाने का प्रस्तावित स्कूल (8वीं तक) वहाँ पर भी स्थानीय प्रधानाध्यापक कह चुके हैं कि वह इतनी छात्रों की संख्या नहीं संभाल सकता।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
- हजारीबाग के उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह ने आश्वासन दिया है कि खनन कंपनी और शिक्षा विभाग की एक उच्च स्तरीय बैठक जल्द बुलाई जाएगी। livehindustan.com+1livehindustan.com+1
- सोमवार को पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव भी मौके पर पहुँचे। प्रशासनिक टीम के भी साथ ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ा।
- हालांकि समझाइश के बाद स्कूल के गेट को खोला गया और विद्यार्थियों को वापस प्रवेश दिया गया।
अब क्या होगा?
- खनन कंपनी, शिक्षा विभाग व प्रशासन की बैठक में अब तय होगा कि नया स्कूल कब एवं कहाँ बनेगा।
- स्थानांतरण भवन तैयार न होने तक ट्रांज़िट क्लासरूम या अस्थायी व्यवस्था की गुंजाइश पर चर्चा होगी।
- यदि किसी पक्ष की गलती सामने आती है, तो अपशिष्ट कार्रवाई पर भी निर्णय लिया जा सकता है।
खतरे की घंटी
पुराने भवन को तोड़कर बच्चों को बेघर करने से यह समस्या और गंभीर हो गई है। पर्यवेक्षक एवं शिक्षा विशेषज्ञों की राय में:
- शैक्षिक नुकसान: निरंतर पढ़ाई बंद होने से बच्चों का सीखने का रुचि ढह सकता है।
- प्रेरणा में कमी: अस्थायी पठन वातावरण बच्चों को मतदानहीन बना सकता है।





