BY: Yoganand Shrivastva
इस्लामाबाद, तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान और रक्षा मंत्री यासिर गुलर इन दिनों आधिकारिक दौरे पर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मौजूद हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत, पाकिस्तान और तुर्की के बीच हालिया वर्षों में कई बार तनावपूर्ण हालात देखे गए हैं।
क्या है इस यात्रा का मकसद?
इस दौरे के दौरान दोनों देशों के नेता—विशेष रूप से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ—से द्विपक्षीय रिश्तों, क्षेत्रीय मसलों और रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर विस्तार से चर्चा होनी है। रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक, यह यात्रा दोनों देशों के गहरे रिश्तों और साझा विरासत को दर्शाती है।
पाकिस्तान-तुर्की संबंधों की पृष्ठभूमि
तुर्की और पाकिस्तान लंबे समय से एक-दूसरे के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। दोनों देशों के रिश्ते इतिहास, संस्कृति और धार्मिक पहचान पर आधारित हैं। हालांकि, इन संबंधों में भारत विरोध की एक छाया भी देखी जाती रही है। “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान तुर्की के ड्रोन तकनीक का पाकिस्तान द्वारा उपयोग और भारत के खिलाफ रणनीति में सहयोग एक अहम संकेत था।
चर्चा में क्या-क्या होगा?
जानकारों के अनुसार, तुर्की के दोनों मंत्री इस यात्रा में पाकिस्तान के साथ हर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताएंगे। खासतौर पर रक्षा औद्योगिक साझेदारी पर गंभीर बातचीत होने की संभावना है। हकान फिदान की पीएम शरीफ के साथ बैठक में क्षेत्रीय शांति, आपसी हित और रणनीतिक रक्षा साझेदारी पर केंद्रित चर्चा हो सकती है।
रक्षा सहयोग और ड्रोन्स का मामला
विशेष रूप से मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने तुर्की के ड्रोन्स का जमकर उपयोग किया था। उस घटना के बाद भारत में तुर्की के खिलाफ आर्थिक और सामाजिक प्रतिक्रिया भी देखी गई थी — जैसे भारतीय व्यापारियों द्वारा तुर्की से सेब का आयात रोकना और बड़े ब्रांड्स की डील्स का रद्द होना।
भारत की चिंता वाजिब?
हालांकि यह यात्रा आधिकारिक है और द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर केंद्रित बताई जा रही है, लेकिन यह नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि भारत को लेकर दोनों देशों की रणनीतिक सोच कई बार मेल खा चुकी है। यही कारण है कि इस दौरे को लेकर भारत की रणनीतिक एजेंसियों की कड़ी नजर बनी हुई है।





