By: Vijay Nandan
मध्य प्रदेश सरकार विरासत से विकास के विजन के तहत नित नए प्रकल्प शुरू कर रही है. इसी कड़ी में प्रदेश की राजधानी भोपाल में दो भव्य द्वार बनाने की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है. भोपाल के टी.टी नगर में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में उन्होंने एक बार फिर इस बात की पुष्टि की है कि, शहर में सम्राट विक्रमादित्य और राजा भोज के नाम पर दो प्रवेश द्वार बनाए जाएंगे। सीएम मोहन यादव ने कहा कि पहला द्वार भोपाल-इंदौर मार्ग पर बनेगा, जिसका नाम सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर रखा जाएगा, जबकि दूसरा द्वार भोपाल से भोजपुर मंदिर की दिशा में बनाया जाएगा, जिसका नाम राजा भोज के नाम पर होगा। इस दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राजधानी भोपाल का महत्व ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के बाद से बढ़ गया है। राज्य सरकार विरासत से विकास को प्रमुख मानती है। इस नाते भोपाल के गौरवशाली इतिहास का स्मरण आवश्यक है।

- भोपाल में सजेंगे दो मार्ग
- दो सम्राट के बनेंगे भव्य द्वार
- विक्रमादित्य, राजा भोज के बनेंगे द्वार
- सीएम डॉ. मोहन यादव ने किया ऐलान
- भोपाल-इंदौर रोड पर विक्रमादित्य द्वार का निर्माण
- भोपाल-भोजपुर रोड पर राजा भोज द्वार का निर्माण
- मोहन सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
- भोपाल में हिंदू शासकों की विरासत, मुगलों पर क्यों चुप्पी ?
नवाबों का शहर भोपाल अपनी गंगा यमुनी संस्कृति के लिए जाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ समय से भोपाल में कई परिवर्तन देखने को मिले हैं. राजधानी की बड़ी झील में राजा भोज की प्रतिमा स्थापित की गई. छोटी झील में रानी कमलापति की प्रतिमा स्थापित की गई. भोपाल के हबीबगंज का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखा गया. ऐसे कई अन्य फैसले लिए गए हैं.. जिन पर राजनीति भी होती ही है..इस मुद्दे पर भी कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं..कांग्रेस का कहना है कि भोपाल में क्या सारा इतिहास हिंदू राजाओं से जुड़ा है. मुगलकाल का कोई इतिहास नहीं है.. और क्या सवाल खड़े किए उन्होंने आइए देखते हैं..
विरासत पुन: स्थापना के प्रयास, प्रमुख पहलें
परमार राजा भोज सम्राट विक्रमादित्य के वंशज थे
राजा भोज ने बसाया था ‘’भोजपाल’’ भोपाल
भोजपाल का नाम बदल भोपाल कर दिया गया था
बड़ी झील में स्थापित की राजा भोज की प्रतिमा
बड़े तालाब के पुराने बुर्ज पर 36 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित
7,500 किलो वजनी राजा भोज की प्रतिमा साल 2011 में स्थापित
भोपाल के कोलार रोड पर राजा भोज मुक्त विवि का संचालन
भोपाल के साकेत नगर में राजा भोज की 7 फ़ीट ऊंची प्रतिमा स्थापित
ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण: भोजपुर मंदिर, गिन्नौरगढ़ किला और अन्य धरोहर स्थलों को संरक्षित किया जा रहा है।
छोटी झील में स्थापित की रानी कमलापति की प्रतिमा
भोपाल में प्राचीन विरासत संवारने में जुटी मध्य प्रदेश सरकार
मध्य प्रदेश सरकार राजधानी भोपाल में ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और संरक्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। ‘विरासत से विकास’ की नीति के तहत राज्य सरकार ऐतिहासिक स्थलों का पुनरुद्धार कर रही है, जिससे न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संजोया जा सके, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। सरकार का उद्देश्य केवल स्थापत्य धरोहरों का संरक्षण नहीं, बल्कि राज्य की ऐतिहासिक पहचान को पुनर्जीवित करना और उसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। इस तरह से प्रकल्प ना सिर्फ भोपाल और बड़े अन्य शहरों में चल रहे हैं बल्कि पूरे प्रदेशभर में हर छोटे-बड़े ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के कार्य हो रहे हैं।
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