BY: Yoganand Shrivastva
हरिद्वार स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह एक भीषण भगदड़ की घटना सामने आई, जिसमें कम से कम छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 25 से 30 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, मंदिर परिसर में भीड़ के बीच एक अफवाह फैल गई कि बिजली का तार लीक हो रहा है और करंट दौड़ रहा है। यह खबर फैलते ही वहां अफरातफरी मच गई, और श्रद्धालुओं ने जान बचाने के लिए एक-दूसरे को रौंदते हुए भागना शुरू कर दिया।
यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि पिछले पांच वर्षों में धार्मिक स्थलों पर हुई कई त्रासदियों की एक कड़ी बन गई है। भीड़ का नियंत्रण, असंगठित व्यवस्थाएं और सुरक्षा उपायों की कमी इन दुर्घटनाओं के आम कारण बनते जा रहे हैं। आइए नजर डालते हैं उन दस प्रमुख भगदड़ की घटनाओं पर, जिन्होंने 201 से अधिक जिंदगियों को निगल लिया।
पिछले 5 वर्षों की 10 बड़ी भगदड़ की घटनाएं
1 जनवरी 2022 – वैष्णो देवी, जम्मू-कश्मीर
नए साल के मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में पहुंची। संकीर्ण प्रवेश मार्ग पर अव्यवस्था फैलने से भगदड़ मच गई।
मृत्यु: 12
घायल: 15+
20 अगस्त 2022 – बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
जन्माष्टमी उत्सव के दौरान मंदिर में भीड़ काबू से बाहर हो गई।
मृत्यु: 2
घायल: 7
31 मार्च 2023 – इंदौर, मध्यप्रदेश
राम नवमी के अवसर पर मंदिर परिसर में एक बावड़ी की स्लैब टूटने से भगदड़ मच गई।
मृत्यु: 36
घायल: दर्जनों
24 दिसंबर 2023 – मथुरा, उत्तर प्रदेश
बांके बिहारी मंदिर में दम घुटने और भीड़ के कारण अवसादजनक भगदड़ की स्थिति बनी।
मृत्यु: 2 महिलाएं
17 मार्च 2024 – श्रीजी मंदिर, मथुरा
होली के धार्मिक आयोजन के दौरान अराजक स्थिति।
बेहोश श्रद्धालु: 6
मृत्यु: कोई नहीं
25 मार्च 2024 – कोट्टनकुलंगारा मंदिर, केरल
धार्मिक उत्सव के दौरान भीड़ में एक 5 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई।
मृत्यु: 1
घायल: अज्ञात
2 जुलाई 2024 – हाथरस, उत्तर प्रदेश
नारायण साकार हरि (भोले बाबा) के सत्संग में अनुमानित संख्या से तीन गुना अधिक भीड़ उमड़ आई।
मृत्यु: 121 (अधिकतर महिलाएं और बच्चे)
घायल: सैकड़ों
12 अगस्त 2024 – बाबा सिद्धनाथ मंदिर, बिहार
सावन सोमवार के अवसर पर अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ मच गई।
मृत्यु: 7
घायल: 10
29 जनवरी 2025 – प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
मौनी अमावस्या स्नान के दौरान संगम पर उमड़ी लाखों की भीड़, लेकिन प्रशासन भीड़ नियंत्रण में विफल रहा।
मृत्यु: 30
घायल: 60
29 जून 2025 – पुरी, ओडिशा
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान ‘नंदीघोष’ रथ के पास भीड़ बेकाबू हो गई।
मृत्यु: 3
घायल: 50+
मनसा देवी हादसे की स्थिति
रविवार सुबह मनसा देवी मंदिर में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। श्रद्धालुओं ने बताया कि मंदिर परिसर में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। अचानक किसी ने करंट फैलने की अफवाह फैला दी। इससे लोगों में घबराहट फैल गई और भगदड़ मच गई। मंदिर के गेट और सीढ़ियों पर दर्जनों लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े।
मृत्यु: 6
घायल: 25-30
स्थान: मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार
इन घटनाओं से मिलते सबक
इन सभी हादसों से एक बात स्पष्ट है — धार्मिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण और आपात स्थिति की तैयारी अपर्याप्त है। चाहे वह पुलिस बल की कमी हो, वीआईपी प्रोटोकॉल का हस्तक्षेप हो या अफवाहों से उपजी भगदड़, ये सभी कारण जानलेवा साबित हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है कि:
- धार्मिक आयोजनों के लिए विशेष SOP (Standard Operating Procedure) बनाई जाए।
- भीड़ नियंत्रण के लिए AI आधारित निगरानी सिस्टम लगाया जाए।
- आयोजकों के लिए जिम्मेदारी तय हो और लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई हो।
- आपदा प्रबंधन दल हर आयोजन पर तैनात हों।
- मॉक ड्रिल और सार्वजनिक प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाया जाए।
श्रद्धालुओं की आस्था बनी दुर्घटना का कारण?
हर साल करोड़ों लोग मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में शामिल होते हैं, जो उनकी अटूट आस्था को दर्शाता है। लेकिन इसी आस्था को सुनियोजित व्यवस्था और सुरक्षा के बिना निभाना अब भारी पड़ता जा रहा है। सरकारों और आयोजन समितियों को यह समझना होगा कि हर श्रद्धालु की जान कीमती है और उन्हें सुरक्षित वातावरण देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।