पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल मंगलवार सुबह अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहरेदारी करते नजर आए। व्हीलचेयर पर बैठे सुखबीर सिंह के गले में तख्ती और हाथ में एक भाला था। वहीं, अब वो स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करते भी नजर आएंगे फिर शाम में लोगों के जूते साफ करेंगे।
क्यों सुनाई गई सजा
दरअसल, सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने सुखबीर सिंह बादल को साल 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का पक्ष लेने के लिए ये सभी सजा सुनाई हैं। साल 2007 से 2017 तक पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और सरकार की गलतियों के कारण ये सजा दी गई हैं।
अन्य 17 लोगों को भी सजा
यही नहीं, शिरोमणि अकाली दल की सरकार के समय जो भी नेता या कैबिनेट मंत्री थे सभी को सजा सुनाई गई है। जानकारी के मुताबिक सुखबीर सिंह बादल समेत अन्य 17 लोगों को भी यह सजा सुनाई है। उन्हें अपने गांव या हल्के के किसी गुरुद्वारे में जाकर एक – एक घंटे तक सेवा करनी होगी। इसके साथ ही उन्हें भी दरबार साहिब में बने सार्वजनिक शौचालयों में साफ – सफाई करेंगे।
प्रकाश सिंह बादल से छीना फख्र – ए – कौम की उपाधि
बताते चलें तीन महीने पहले ही श्री अकाल तख्त ने सुखबीर को तनखैया (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर सिंह के पिता और पंजाब के 5 बार के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल को दी गई फख्र – ए – कौम की उपाधि वापस लेने की घोषणा की है। उन पर भी गुरमीत का केस वापस लेने का दबाव बनाने के आरोप हैं।