BY: Yoganand Shrivastva
गया (बिहार): मोक्ष की नगरी गया जी में इस बार पितृपक्ष मेले के दौरान एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। यहां न सिर्फ़ देशभर से श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध-पिंडदान करने पहुंचे, बल्कि रूस और यूक्रेन जैसे देशों से आए विदेशी श्रद्धालुओं ने भी सनातन परंपरा निभाते हुए विधि-विधान के साथ पिंडदान किया।
गया जी क्यों है खास?
गया जी को हिंदू धर्म में मोक्षभूमि कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। यही कारण है कि पितृपक्ष के अवसर पर लाखों लोग गया पहुंचते हैं।
विदेशी श्रद्धालुओं की आस्था
रूस और यूक्रेन से आए श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्होंने सनातन धर्म और इसकी परंपराओं को अपनाया है। उनके लिए गया जी आकर पिंडदान करना बेहद महत्वपूर्ण और भावनात्मक अनुभव है। उन्होंने विधिवत पूजा-पाठ कर पिंड अर्पित किया और स्थानीय पंडितों से श्राद्ध संस्कार करवाया।
पंडितों ने बताया महत्व
गया के पंडितों का कहना है कि पितृपक्ष में चाहे कोई भी जाति, भाषा या देश से आए, यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ पिंडदान किया जाए तो पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। यही वजह है कि अब विदेशी भी इस परंपरा से जुड़ रहे हैं।
माहौल में श्रद्धा और उत्साह
पिंडदान के दौरान पूरा वातावरण मंत्रोच्चार और श्रद्धा से गूंज उठा। विदेशी श्रद्धालुओं को देखकर स्थानीय लोग भी हैरान और प्रसन्न हुए कि सनातन परंपरा अब सीमाओं से बाहर जाकर पूरे विश्व में अपनी पहचान बना रही है।