मामले का अवलोकन
लखनऊ में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के मालिकों, जिसमें पिता-पुत्र की जोड़ी सुशील अंसल और प्रणव अंसल शामिल हैं, के साथ-साथ अन्य सहयोगियों के खिलाफ गोमतीनगर थाने में एक FIR दर्ज की है। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के 24 घंटे के भीतर हुई है, जो कथित धोखाधड़ी के लिए रियल एस्टेट फर्म पर नकेल कसने के लिए दी गई थी। 4 मार्च 2025 को दर्ज की गई FIR में कंपनी पर स्वीकृत भूमि सीमा से अधिक क्षेत्र में टाउनशिप विकसित करने का आरोप लगाया गया है, जिससे नियामक मानदंडों का उल्लंघन हुआ है।
आरोपों की पृष्ठभूमि
एलडीए के अमीन (निरीक्षक) अर्पित शर्मा द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, अंसल समूह ने 2005 में लखनऊ में 1,765 एकड़ की हाई-टेक टाउनशिप विकसित करने के लिए मंजूरी प्राप्त की थी। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) को 2006 में स्वीकृत किया गया था, जिसके बाद कंपनी ने निर्माण कार्य शुरू किया। हालांकि, जांच में पता चला कि कंपनी ने स्वीकृत क्षेत्र से परे अतिरिक्त भूमि को अवैध रूप से परियोजना में शामिल कर लिया। इसमें ग्राम सभा, सीलिंग भूमि, तालाब, राज्य सरकार की संपत्ति, चक मार्ग, नवीन परती, बंजर भूमि, नहर और नालियों की जमीन शामिल थी, जिसकी जानकारी एलडीए को नहीं दी गई। यह अनियमितता बाद में जांच के दौरान सामने आई, जिसके बाद त्वरित कार्रवाई की गई।
FIR में नामित व्यक्ति और संस्थाएं
FIR में अंसल प्रॉपर्टीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों और संस्थाओं को निशाना बनाया गया है:
- सुशील अंसल, प्रमोटर और मालिक
- प्रणव अंसल, सह-मालिक और सुशील अंसल के पुत्र
- सुनील कुमार गुप्ता, सहयोगी
- फ्रांसेटी पैट्रिक एटकिंसन, सहयोगी
- विनय कुमार सिंह, निदेशक
- अंसल समूह से जुड़ी दो अन्य कंपनियां
इन व्यक्तियों और संस्थाओं पर जालसाजी, गलत बयानी और अनधिकृत भूमि उपयोग के आरोप लगाए गए हैं।
कानूनी धाराएं और संभावित सजा
मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत दर्ज किया गया है, जिसमें धारा 316(5), 318(4), 338, 336(3), 340(2), 61(2), 352, और 351(2) शामिल हैं, साथ ही सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 भी लगाई गई है। इन धाराओं में दो से लेकर दस साल तक की सजा का प्रावधान है, जो कथित अपराधों की गंभीरता को दर्शाता है।
सीएम योगी का रुख और विधायी प्रतिक्रिया
अंसल समूह का विवाद 4 मार्च 2025 को उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी गूंजा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर बोलते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में ही इस कंपनी को बढ़ावा मिला। उन्होंने सपा सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा, “अंसल आपकी सरकार की ही देन है।” उन्होंने विधानसभा को आश्वासन दिया कि प्रभावित खरीदारों के पैसे वापस करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “अगर किसी को यह गलतफहमी है कि वह गरीबों का पैसा लेकर भाग जाएगा, तो हम उसे पाताल से भी खोज निकालेंगे और सजा दिलाएंगे। हम गारंटी देते हैं कि सबको उनका पैसा वापस मिलेगा।”

यह बयान X.com पर की गई पोस्ट से भी मेल खाता है, जहां उपयोगकर्ताओं ने सीएम योगी के रियल एस्टेट धोखाधड़ी से निपटने के दृढ़ संकल्प को उजागर किया है। उदाहरण के लिए, X.com पर एक हालिया पोस्ट में कहा गया, “सीएम योगी का अंसल API के खिलाफ निर्देश यूपी में खरीदारों का शोषण करने वाले डेवलपर्स के लिए शून्य सहिष्णुता नीति का संकेत देता है” (स्रोत: X.com, 4 मार्च 2025)।
व्यापक प्रभाव
अंसल समूह का मामला विधायी मंचों और X.com जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। उपयोगकर्ताओं ने सरकार के कदमों का समर्थन किया है, एक यूजर ने लिखा, “आखिरकार, अंसल जैसे रियल एस्टेट दिग्गजों के लिए जवाबदेही तय हुई, जिन्होंने हजारों लोगों को ठगा” (स्रोत: X.com, 5 मार्च 2025)। एलडीए की त्वरित प्रतिक्रिया और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों की संलिप्तता राज्य के रियल एस्टेट क्षेत्र में धोखाधड़ी से निपटने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
अगले कदम
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, अधिकारियों से उम्मीद की जाती है कि वे कंपनी के संचालन की गहराई से जांच करेंगे, जिससे संभवतः और अनियमितताएं सामने आएंगी। FIR इस कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत है, जो उत्तर प्रदेश में इसी तरह के मामलों को संभालने के लिए एक मिसाल कायम कर सकती है। प्रभावित खरीदार और हितधारक घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं, और उन्हें मुख्यमंत्री के वादे के अनुसार मुआवजे की उम्मीद है।
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