हेलसिंकी: विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2025 के अनुसार, फिनलैंड लगातार आठवें साल दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना हुआ है। इस रिपोर्ट को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित किया गया है। नॉर्डिक देशों ने एक बार फिर खुशहाली की रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है। फिनलैंड के अलावा, डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन भी शीर्ष चार में शामिल हैं।

भारत ने इस साल 118वां स्थान हासिल किया है, जो पिछले साल के 126वें स्थान से बेहतर है। हालांकि, भारत अभी भी नेपाल, पाकिस्तान, यूक्रेन और फिलिस्तीन जैसे देशों से पीछे है।
क्या है खुशहाली का राज?
रिपोर्ट के अनुसार, खुशहाली सिर्फ धन या विकास से नहीं आती। सामाजिक समर्थन, विश्वास और एक-दूसरे के प्रति सहयोग जैसे कारक खुशहाली को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। गैलप के सीईओ जॉन क्लिफ्टन के मुताबिक, “अगर हम मजबूत समुदाय और अर्थव्यवस्था चाहते हैं, तो हमें एक-दूसरे में निवेश करना होगा।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य और धन के अलावा, कुछ साधारण से लगने वाले कारक भी खुशहाली को प्रभावित करते हैं। जैसे:
- साथ में भोजन करना
- सामाजिक समर्थन के लिए किसी पर भरोसा होना
- परिवार का आकार (मैक्सिको और यूरोप में 4-5 लोगों के परिवार सबसे ज्यादा खुश पाए गए)
- दूसरों की दयालुता में विश्वास (जैसे, गुम हुआ बटुआ वापस मिलने की उम्मीद)
टॉप 10 में कौन-कौन?
- फिनलैंड
- डेनमार्क
- आइसलैंड
- स्वीडन
- नॉर्वे
- कोस्टा रिका (पहली बार टॉप 10 में)
- नीदरलैंड्स
- इजराइल
- न्यूजीलैंड
- मैक्सिको (पहली बार टॉप 10 में)
भारत की स्थिति
भारत ने खुशहाली सूचकांक में 118वां स्थान हासिल किया है। हालांकि, कुछ मामलों में भारत की स्थिति बेहतर है:
- दान देने में: 57वां स्थान
- स्वयंसेवा में: 10वां स्थान
- अजनबी की मदद करने में: 74वां स्थान
- पड़ोसी द्वारा बटुआ वापस करने में: 115वां स्थान
- अजनबी द्वारा बटुआ वापस करने में: 86वां स्थान
- पुलिस द्वारा बटुआ वापस करने में: 93वां स्थान
अमेरिका और यूके में गिरावट
अमेरिका ने खुशहाली सूचकांक में अपने सबसे निचले स्तर (24वां स्थान) पर पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों में अमेरिका में अकेले भोजन करने वालों की संख्या में 53% की वृद्धि हुई है। वहीं, यूके 23वें स्थान पर है, जो 2017 के बाद से उसका सबसे निचला स्तर है।
सबसे दुखी देश
अफगानिस्तान एक बार फिर दुनिया का सबसे दुखी देश बना हुआ है। अफगान महिलाओं ने बताया कि उनकी जिंदगी बेहद मुश्किल है। पश्चिमी अफ्रीका का सिएरा लियोन दूसरे स्थान पर है, जबकि लेबनान तीसरे स्थान पर है।
युवाओं की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 19% युवाओं ने कहा कि उनके पास सामाजिक समर्थन के लिए कोई नहीं है।
निष्कर्ष
खुशहाली सिर्फ पैसे से नहीं आती। विश्वास, सामाजिक समर्थन और एक-दूसरे के प्रति सहयोग जैसे मूल्य हमें खुशहाल बनाते हैं। भारत ने इस साल कुछ सुधार दिखाया है, लेकिन अभी भी हमें लंबा सफर तय करना है।
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