BY: MOHIT JAIN
आगरा में एक चौंकाने वाला साइबर क्राइम सामने आया है। ठगों ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग का अधिकारी बताकर एक रिटायर वैज्ञानिक को 7 दिन तक मानसिक दबाव में रखा। इस दौरान उन्हें बार-बार जेल और रेड की धमकी दी गई। डर और बदनामी से बचने के लिए वैज्ञानिक ने एफडी तुड़वाकर 23 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए।
कैसे हुई ठगी की शुरुआत?

- पीड़ित डॉ. एचसी नितांत, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के रिटायर प्रधान वैज्ञानिक हैं।
- 10 सितंबर की सुबह उन्हें व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाला खुद को ईडी अधिकारी अजय पाटिल बता रहा था।
- उसने दावा किया कि मुंबई की एक बैंक में उनके नाम से खाते से 30 करोड़ रुपए का अवैध लेनदेन हुआ है।
- कॉल करने वाले ने कहा कि यह रकम बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह को भेजी गई है और मामले में उनका भी नाम शामिल है।
लगातार धमकी और डर का माहौल
- अगले दिन फिर कॉल आया, इस बार शख्स ने अपना नाम दया बताया और खुद को आयकर अधिकारी कहा।
- उसने कहा कि किसी भी वक्त ईडी और आयकर की टीम उनके घर छापा मार सकती है।
- ठगों ने डॉ. नितांत का आधार कार्ड और निजी डिटेल्स भेजकर डराया कि अब उन्हें जेल भेजा जाएगा।
- 7 दिनों तक लगातार कॉल कर ठग उन्हें मानसिक दबाव में रखते रहे।
23 लाख रुपए कैसे गए ठगों के पास?
- जब वैज्ञानिक ने कहा कि उनके पास ज्यादा पैसे नहीं हैं, तो ठगों ने कहा कि जेल से बचना है तो पैसे ट्रांसफर करो।
- डर के माहौल में उन्होंने अपनी 23 लाख की एफडी तोड़ दी और 17 सितंबर को ठगों के खाते में रकम भेज दी।
- बाद में जब बेटे को बताया, तो उसने ठगी की आशंका जताई। इसके बाद साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट एक नई ठगी का तरीका है, जिसमें ठग फोन या वीडियो कॉल के जरिए व्यक्ति को मानसिक रूप से कैद कर लेते हैं। लगातार धमकी देकर पीड़ित को बाहर किसी से बात करने या मदद लेने से रोकते हैं। कई बार इसमें सरकारी अधिकारियों के नाम और दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जाता है।
पुलिस की अपील
साइबर पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर कोई भी खुद को ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग या किसी अन्य एजेंसी का अधिकारी बताकर कॉल करे तो तुरंत इसकी जांच करें और सीधे पुलिस को सूचना दें। कभी भी डरकर पैसे ट्रांसफर न करें।