BY: Yoganand Shrivastva
एक बार फिर लौटा कानूनी लड़ाइयों का चहेता वकील
‘क्रिमिनल जस्टिस’ फ्रेंचाइज़ी ने अपने पहले तीन सीज़न्स से दर्शकों को क्राइम, कोर्ट और मनोवैज्ञानिक रहस्यों की एक गहरी यात्रा पर ले जाया। अब इसके चौथे सीजन में, एक नई कहानी सामने आई है—जहां प्यार, परिवार, मानसिक स्वास्थ्य और हत्या की उलझी हुई परतें हैं। इस बार भी मामले को सुलझाने मैदान में हैं – माधव मिश्रा, यानी पंकज त्रिपाठी।
कहानी की परतें: एक परिवार और एक रहस्यमयी मर्डर
कहानी की शुरुआत होती है डॉक्टर राज नागपाल (मोहम्मद जीशान अय्यूब) से, जो अपने पेशे में तो सफल हैं लेकिन वैवाहिक जीवन में तनाव झेल रहे हैं। उनकी पत्नी अंजू (सुरवीन चावला) और बेटी इरा (जो एस्परगर्स से ग्रसित है) उनके जीवन के अहम हिस्से हैं। एक नर्स रोशनी (आशा नेगी) इरा की देखभाल करती है, लेकिन एक सुबह उसकी रहस्यमयी मौत पूरे परिवार की दुनिया बदल देती है। मर्डर का शक राज पर जाता है, फिर कहानी में चौंकाने वाला मोड़ आता है—अंजू को भी गिरफ्तार कर लिया जाता है।
माधव मिश्रा: साधारण वकील, असाधारण दिमाग
माधव मिश्रा अब अपने नए लॉ फर्म ‘माधव मिश्रा एंड एसोसिएट्स’ के साथ लौटे हैं। केस की तह में जाने और चुटीले अंदाज़ में तर्क प्रस्तुत करने की उनकी कला इस बार भी दर्शकों को बांधे रखती है। पत्नी रत्ना के साथ उनके घरेलू सीन सीरीज को कुछ हल्के-फुल्के पल भी देते हैं, जो गंभीर माहौल में राहत लाते हैं।
अभिनय: जब हर किरदार ज़िंदा लगे
- पंकज त्रिपाठी एक बार फिर माधव मिश्रा को असली जान देते हैं। उनका सहज अभिनय, व्यंग्यपूर्ण संवाद और गंभीरता की संतुलित प्रस्तुति उन्हें सीरीज का हीरो बनाती है।
- मोहम्मद जीशान अय्यूब ने अपने किरदार में दर्द, उलझन और असहायता को बखूबी दर्शाया है।
- सुरवीन चावला अपने किरदार में मजबूती और रहस्य दोनों लेकर आती हैं।
- आशा नेगी की छोटी भूमिका असरदार है, और उनका प्रभाव कहानी में अहम भूमिका निभाता है।
- सहायक कलाकार जैसे मीता वशिष्ठ, श्वेता बसु प्रसाद, बरखा सिंह और खुशी भारद्वाज ने कोर्ट रूम दृश्यों को विश्वसनीयता प्रदान की है।
लेखन व निर्देशन: सस्पेंस की मजबूत पकड़
रोहन सिप्पी का निर्देशन दर्शकों को लगातार बांधे रखता है। कहानी धीरे-धीरे परत दर परत खुलती है, और हर मोड़ पर दर्शकों की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं। कोर्ट रूम ड्रामा को वास्तविकता के करीब दिखाने का प्रयास सफल रहा है। हालांकि कहीं-कहीं कहानी थोड़ी धीमी लग सकती है, लेकिन इसका क्लाइमैक्स बहुत ही संतोषजनक और चौंकाने वाला है।
मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक जटिलताएं
यह सीजन सिर्फ एक हत्या की गुत्थी नहीं सुलझाता, बल्कि यह बताता है कि कैसे मानसिक स्वास्थ्य, आपसी संवाद की कमी और पारिवारिक तनाव किसी भी इंसान की जिंदगी को बर्बाद कर सकते हैं। यह ड्रामा उन अनकही बातों को उजागर करता है जो अकसर एक परिवार को अंदर से तोड़ देती हैं।
देखें या न देखें?
अगर आपने ‘क्रिमिनल जस्टिस’ के पिछले सीज़न देखे हैं, तो चौथा सीज़न मिस करना मुश्किल होगा। बेहतरीन एक्टिंग, उलझी कहानी, दमदार सस्पेंस और भावनात्मक गहराई – ये सब मिलकर इसे भारत के सबसे बेहतरीन कोर्ट रूम थ्रिलर सीरीज़ में से एक बनाते हैं।