प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत के आयोजन में सम्मिलित हुए सीएम
जनजातीय कलाकारों की प्रस्तुति और कृष्णायन नाटक को देख मन्त्रमुग्ध हुए मोहन यादव
मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग की ओर से की जा रही इस प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि त्रिवेणी संगम तट पर 144 वर्षों के बाद जो यह सहयोग बना है ऐसे में योगेश्वर कृष्ण की लीला से जुड़ा या मंचन निश्चय रूप से श्रद्धालुओं को आनंदित करेगा इतनी करकड़ाती ठंड में भी श्रद्धालु पूरे श्रद्धा भाव के साथ यहां पहुंच रहे हैं और यहां पर जो मंचन कर रहे जो कलाकार हैं उनके चेहरे पर भी वही भाव देखने को मिल रहा है यह निश्चय रूप से योगेश्वर कृष्ण की ही माया है उन्होंने कहा कि प्रज्ञा की धरती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देशन पर जो है आयोजन चल रहा है इसका लोहा पूरा दुनिया मान रही है और आज धरती से हम यह सब को संदेश भी देना चाह रहे हैं कि वर्ष 2028 में उज्जैन में आयोजित होने वाले कुंभ मैं सभी लोग पधारे और महाकाल की नगरी की दिव्यता और भव्यता को भी देखें। मध्य प्रदेश मंडपम में योगेश्वर कृष्ण के मंचन को कर आते हुए उनकी आरती भी उतारी इस मौके पर मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी मौजूद रहे।
त्रिवेणी संगम तट पर चल रहे महाकुंभ मेले के सेक्टर 08 में बने स्टेट पवेलियन के मध्य प्रदेश मंडपम लीलाधारी कृष्ण के चरित पर आधारित नाट्य प्रस्तुति ‘कृष्णायन’ के मंचन ने मध्यप्रदेश मण्डप की सांस्कृतिक संध्या को केवल सुरमयी ही नही बनाया अपितु उपस्थित श्रद्धालुओं को कृष्ण भक्ति की रसमयी धारा में डुबकी लगाने को विवश भी कर दिया। इस मौके पर पहुंचे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन लाल यादव ने योगीश्वर कृष्ण को समर्पित ‘कृष्णायन’ मंचन को सराहा।मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग की ओर से की जा रही इस प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि त्रिवेणी संगम तट पर 144 वर्षों के बाद जो यह सहयोग बना है ऐसे में योगेश्वर कृष्ण की लीला से जुड़ा या मंचन निश्चय रूप से श्रद्धालुओं को आनंदित करेगा इतनी करकड़ाती ठंड में भी श्रद्धालु पूरे श्रद्धा भाव के साथ यहां पहुंच रहे हैं और यहां पर जो मंचन कर रहे जो कलाकार हैं उनके चेहरे पर भी वही भाव देखने को मिल रहा है यह निश्चय रूप से योगेश्वर कृष्ण की ही माया है उन्होंने कहा कि प्रज्ञा की धरती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देशन पर जो है आयोजन चल रहा है इसका लोहा पूरा दुनिया मान रही है और आज धरती से हम यह सब को संदेश भी देना चाह रहे हैं कि वर्ष 2028 में उज्जैन में आयोजित होने वाले कुंभ मैं सभी लोग पधारे और महाकाल की नगरी की दिव्यता और भव्यता को भी देखें। मध्य प्रदेश मंडपम में योगेश्वर कृष्ण के मंचन को कर आते हुए उनकी आरती भी उतारी इस मौके पर मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी मौजूद रहे।
बता दे किमध्यप्रेदश संस्कृति विभाग द्वारा लोकपर्व की सांस्कृतिक संध्या का प्रमुख आकर्षण उज्जैन की नाट्य संस्था विशाला द्वारा ‘कृष्णायन’ की प्रस्तुति की। नाटक की परिकल्पना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव जी की निर्देशन संजीव मालवीय, मंच प्रबंधन राजेश कुशवाहा एवं आलेख सतीश दवे का था।
योगेश्वर कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी इस प्रस्तुति में सधे व कसे हुए दृष्यबंधों, अभिनय की मनोहारी भावाभिव्यक्ति एवं दृष्यों के अनुरूप वस्त्रविन्यास से सज्जित ‘कृष्णायन’ का शुभारम्भ महर्षि वेदव्यास एवं उनके चार षिष्यों के प्रष्नोत्तर से होता है। महर्षि व्यास उन्हें कृष्ण जन्म के कारणों और उनके कृत कायों का क्रम से उत्तर देते है। कंस के अत्याचार से पीडित पृथ्वी का ब्रह्मा और देवताओं को लेकर भगवान विष्णु के पास जाना, विष्णु लक्ष्मी का आपस में वार्तालाप, विष्णु द्वारा कृष्ण के रूप में अवतरित होने की बात करना, कंस का दरबार कंस द्वारा देवकी का वसुदेव से विवाह उसी समय देवकी के गर्भ से उत्पन्न पुत्र द्वारा कंस के वध की भविष्य वाणी का होना, कंस द्वारा उन्हे जेल मे डालना, उत्पन्न होने वाले सन्तानों का वध करना तथा कृष्ण जन्म होते ही वसुदेव द्वारा उन्हे नन्द यषोदा के पास पहुचाना, कृष्ण की बाल लीला, कृष्ण राधा मिलन, गोपियों संग रास, वेदव्यास द्वारा रास रहस्य वर्णन, कंस द्वारा अक्रूर को गोकुल से कृष्ण बलदाऊ को मथुरा बुलाना, कंस वध, उज्जयिनी में महर्षि संादीपनि आश्रम में कृष्ण की षिक्षा रूक्मणि और मित्रवृंदा हरण, कृष्ण-परशुराम मिलन, कृष्ण सुदामा प्रंसग, शिशुपाल वध, कृष्ण शांति दूत, युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेष आदि प्रसंगों, तथा वर्तमान समय में कृष्ण के उपदेशो की उपयोगिता को अत्यन्त मनोहारी दृष्यों के माध्यम से मंचित किया गया,। दर्शक दीर्घा में बैठे श्रद्धालुओं ने इस प्रस्तुति की सराहना की।

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