संवाददाता: आकाश कसेरा
सूरजपुर। जिला मुख्यालय में स्थित प्री-मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास इन दिनों बदहाली का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। बारिश शुरू होते ही यह छात्रावास तालाब में तब्दील हो गया है, जिससे यहां रह रहे लगभग 100 बच्चे बुरी तरह प्रभावित हैं। छात्रावास परिसर से लेकर कमरों के भीतर तक घुटनों तक पानी भर जाता है, जिसमें बच्चे रहने, पढ़ने और सोने को मजबूर हैं।
पढ़ाई ठप, सांप-बिच्छू का खतरा
छात्रों ने बताया कि गंदे पानी के बीच पढ़ाई करना नामुमकिन हो गया है। रात में सांप और बिच्छुओं के डर के कारण कई बच्चे नींद तक नहीं ले पा रहे हैं। चारों ओर जलभराव की वजह से छात्रों को हर काम के लिए कीचड़ और गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है।
छत टपकती, दीवारें फटी, भवन पूरी तरह जर्जर
छात्रावास की इमारत काफी पुरानी हो चुकी है और अब बेहद जर्जर अवस्था में है। कई कमरों की छतें टपक रही हैं, दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं और हर बारिश में परिसर जलमग्न हो जाता है। ऐसे हालात में बच्चों की जान पर बन आई है।
जनपद पंचायत अध्यक्ष ने लिया संज्ञान
छात्रावास की दुर्दशा की जानकारी मिलते ही जनपद पंचायत अध्यक्ष मौके पर पहुंचे। उन्होंने बच्चों को तत्काल अस्थाई रूप से किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए।
जल्द नया भवन बनाने का दावा
छात्रावास के हालात पर विभागीय अधिकारी भी हरकत में आ गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही नए भवन के लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजा जा रहा है, ताकि बच्चों को सुरक्षित और बेहतर आवासीय सुविधा मिल सके।