Mohit Jain
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा आरंभ होता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 25 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। इस दिन को ‘नहाय-खाय’ कहा जाता है, जो छठ व्रत का पहला और सबसे पवित्र चरण माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु स्नान करके सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और सूर्यदेव की पूजा का संकल्प लेते हैं।
नहाय-खाय की विधि

नहाय-खाय के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना या किसी अन्य जलाशय में स्नान किया जाता है। यदि नदी उपलब्ध न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
स्नान के बाद घर और रसोई की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके बाद पूजा स्थल पर दीपक जलाकर छठी माता और भगवान सूर्य की आराधना की जाती है।
संकल्प मंत्र:
“ॐ अद्य अमुकगोत्रोअमुकनामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेव प्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।”
इस दिन शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करने के बाद छठ व्रत की औपचारिक शुरुआत होती है। अगले दिन “खरना” मनाया जाता है, जिसमें शाम के समय प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
नहाय-खाय के दिन क्या खाना चाहिए?
नहाय-खाय के दिन केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण किया जाता है।
इसमें आमतौर पर कद्दू, लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल शामिल होते हैं।
भोजन में लहसुन-प्याज का प्रयोग नहीं किया जाता और केवल सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है।
छठ पूजा में क्या करें

छठ महापर्व में साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष महत्व होता है। व्रत के दौरान घर, मंदिर और रसोईघर में पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है। पूजा में किसी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए और व्रत के प्रसाद को हमेशा साफ-सुथरे वातावरण में ही तैयार किया जाना चाहिए।
यह पर्व कठिन व्रतों में से एक है, जो खरना के बाद शुरू होकर 36 घंटे के निर्जला उपवास तक चलता है। व्रती महिलाएं इस दौरान पानी तक नहीं पीतीं। यदि कोई व्रती गलती से जल ग्रहण कर ले, तो व्रत अधूरा माना जाता है।
छठ पर्व के चारों दिन व्रती महिलाओं को स्नान के बाद नया और साफ वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन नारंगी रंग का सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है। छठ पूजा में सिंदूर का खास धार्मिक महत्व होता है।
छठी मइया को अर्पित करने वाले फलों को अच्छी तरह धोकर ही पूजा में प्रयोग करना चाहिए। बिना धोए फल या सामग्री पूजा में नहीं रखनी चाहिए।
छठ पूजा में क्या न करें
- व्रती महिलाओं को केवल सात्विक भोजन करना चाहिए और लहसुन-प्याज का सेवन पूरी तरह वर्जित है।
- परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस अवधि में सादा भोजन करना चाहिए ताकि मन में श्रद्धा और भक्ति का भाव बना रहे।
- हर बार नई पूजा की टोकरी या सूप का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है। टूटी या पुरानी टोकरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- यदि पुरानी टोकरी का प्रयोग आवश्यक हो, तो उसे गंगाजल से शुद्ध करके ही प्रयोग करें।
- पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करें, यह शुभ और पूर्णता का प्रतीक माना जाता है।
नहाय-खाय से शुरू होने वाला यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि शुद्धता, अनुशासन और सूर्य उपासना का संदेश देता है। छठ माता की कृपा से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है।





