मां ब्रह्मचारिणी का परिचय
मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप तपस्या और संयम की देवी हैं। इनके:
Contents
मां ब्रह्मचारिणी का परिचय🕉️ विस्तृत पूजा विधिसुबह की तैयारीकलश स्थापना (अगर कर रहे हों)मूर्ति/चित्र सज्जा🔮 विशेष मंत्र जाप1. बीज मंत्र2. ध्यान मंत्र3. स्तोत्र पाठ🍎 भोग के विशेष नियमभोग तालिका📖 पौराणिक कथा (विस्तार से)🌟 मां के विशेष वरदान🎨 आज का शुभ कार्य⚠️ सावधानियां📆 आज का पंचांग🗺️ मां ब्रह्मचारिणी के प्रसिद्ध मंदिर
- दाहिने हाथ में जप की माला
- बाएं हाथ में कमण्डल (जलपात्र)
- वस्त्र: सफेद साड़ी (सात्विकता का प्रतीक)
🕉️ विस्तृत पूजा विधि
सुबह की तैयारी
- ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) में उठकर स्नान करें
- गंगाजल से घर का शुद्धिकरण करें
- लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं
कलश स्थापना (अगर कर रहे हों)
- तांबे के कलश में:
- जल + सुपारी + सिक्का + आम के पत्ते
- ऊपर नारियल लपेटकर रखें
मूर्ति/चित्र सज्जा
- सिंदूर से स्वस्तिक बनाएं
- फूलमाला अर्पित करें
- 5 प्रकार के पत्ते चढ़ाएं:
- आम
- केला
- अशोक
- बेल
- तुलसी

🔮 विशेष मंत्र जाप
1. बीज मंत्र
“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः ब्रह्मचारिण्यै नमः”
2. ध्यान मंत्र
“दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलुम् |
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||”
3. स्तोत्र पाठ
ब्रह्मचारिणी स्तोत्र का पाठ करें (9 माला जप)
🍎 भोग के विशेष नियम
- मुख्य भोग: शक्कर + घी मिला हुआ दही
- वर्जित चीजें:
- लहसुन-प्याज
- नमकीन व्यंजन
- बासी भोजन
भोग तालिका
समय | भोग का प्रकार |
---|---|
सुबह 8 बजे | मिश्री + घी |
दोपहर 12 | खीर + केला |
शाम 6 बजे | पंचामृत + लड्डू |
📖 पौराणिक कथा (विस्तार से)
मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए:
- प्रथम तप: 1000 वर्ष तक केवल फल खाकर
- द्वितीय तप: अगले 3000 वर्ष तक पत्ते खाकर
- तृतीय तप: बिना अन्न-जल के तपस्या
इस दौरान:
- गर्मी में अग्नि से घिरी रहीं
- बरसात में खुले आसमान के नीचे
- सर्दी में जल में खड़ी रहीं
🌟 मां के विशेष वरदान
- विद्यार्थियों को स्मरण शक्ति
- व्यापारियों को धैर्य
- कन्याओं को योग्य वर
- बांझ स्त्रियों को संतान सुख
🎨 आज का शुभ कार्य
- दान: सफेद वस्त्र/शक्कर/दूध
- जप: “ॐ” मंत्र का 108 बार उच्चारण
- ध्यान: सुबह 5-6 बजे (ब्रह्म मुहूर्त)
⚠️ सावधानियां
- पूजा के समय चमड़े का सामान न पहनें
- बाल न काटें और न ही नाखून काटें
- झूठ बोलने से बचें
📆 आज का पंचांग
- तिथि: द्वितीया
- नक्षत्र: रोहिणी
- योग: ध्रुव
- करण: बव
🗺️ मां ब्रह्मचारिणी के प्रसिद्ध मंदिर
- विंध्याचल धाम, मिर्जापुर (UP)
- पावागढ़ मंदिर, गुजरात
- कन्याकुमारी मंदिर, तमिलनाडु