BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली , भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों से जारी तनाव के बीच अब एक बड़ा राजनीतिक बयान सामने आया है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने संकेत दिया है कि पाकिस्तान हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकियों को भारत को सौंपने पर विचार कर सकता है। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान को सख्त संदेश दे चुका है और सिंधु जल समझौते को भी आंशिक रूप से निलंबित कर दिया गया है।
बिलावल का चौंकाने वाला बयान
हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में जब बिलावल भुट्टो से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को भारत को सौंपने पर विचार कर रहा है, तो उन्होंने जवाब दिया:
“यदि भारत के साथ एक व्यापक वार्ता होती है और उसमें आतंकवाद भी चर्चा का विषय है, तो मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान को किसी तरह की आपत्ति होगी। यदि भारत सहयोग के लिए तैयार है, तो जांच के दायरे में आए किसी भी व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने में कोई समस्या नहीं होगी।”
पहले थे आक्रामक, अब क्यों आई नरमी?
बिलावल भुट्टो का यह बयान इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि कुछ समय पहले तक वे भारत को खुलेआम धमकी दे रहे थे। उन्होंने सार्वजनिक मंच से कहा था कि “यदि सिंधु नदी का पानी रोका गया, तो खून बहेगा।” ऐसे में सवाल उठता है कि अचानक उनके रुख में इतनी नरमी क्यों आई है?
इन 5 कारणों से बदले सुर:
1. ऑपरेशन सिंदूर का दबाव
भारत द्वारा हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक नीति अपना चुका है। पाकिस्तान में घुसकर की गई सैन्य कार्रवाई ने उसकी कमर तोड़ दी है और इससे पाकिस्तान की फौज और सरकार दोनों पर दबाव बढ़ा है।
2. FATF और अंतरराष्ट्रीय दबाव
FATF (Financial Action Task Force) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने की आशंका लगातार बनी हुई है। पहलगाम हमले के बाद वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की छवि एक बार फिर आतंकवाद के पोषक देश के रूप में सामने आई है। आर्थिक रूप से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का जोखिम बहुत भारी पड़ सकता है।
3. भारत से व्यापार बहाली की कोशिश
भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध लंबे समय से बंद कर रखे हैं। इसका सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। देश में महंगाई चरम पर है और मुद्रा संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान भारत से आर्थिक संबंधों की बहाली चाहता है, जिसके लिए रुख में नरमी ज़रूरी हो गई है।
4. सिंधु जल संधि पर खतरा
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से स्थगित करने के फैसले ने पाकिस्तान में चिंता की लहर दौड़ा दी है। सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था की जीवनरेखा है। यदि यह बाधित होता है, तो पाकिस्तान में भयंकर जल संकट उत्पन्न हो सकता है, जिससे खाद्यान्न उत्पादन और ग्रामीण जीवन दोनों प्रभावित होंगे।
5. आंतरिक राजनीति में छवि सुधारने की कोशिश
बिलावल भुट्टो, जो पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के पुत्र हैं, लंबे समय से राष्ट्रीय राजनीति में निर्णायक भूमिका नहीं निभा पाए हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी भी सत्ता से दूर है। ऐसे में यह बयान उनकी और उनकी पार्टी की राजनीतिक छवि पुनर्स्थापना की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
भारत की प्रतिक्रिया?
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत सरकार इस बयान को किस दृष्टि से लेती है—सौहार्द की पहल के रूप में या एक राजनीतिक चाल के रूप में। भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि आतंकवाद के मुद्दे पर ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जाएगी और केवल बयानों से संतोष नहीं किया जाएगा।
बिलावल भुट्टो का बयान निश्चित तौर पर पाकिस्तान की मौजूदा राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव की उपज है। सवाल यह है कि क्या यह महज़ एक सांकेतिक नरमी है या पाकिस्तान वाकई आतंक के खिलाफ अपने रुख में बदलाव लाने को तैयार है। जवाब आने वाले हफ्तों में स्पष्ट होगा – लेकिन इतना तय है कि भारत अब पुराने वादों पर नहीं, ठोस कार्यवाही पर विश्वास करता है।