विश्वविद्यालय में छात्रों और हिंदू संगठनों ने किया प्रदर्शन
by: vijay nandan
बिलासपुर: गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में हाल ही में एनएसएस कैंप के दौरान हिंदू छात्रों को जबरन नमाज पढ़ाने के आरोप मामले में प्रबंधन ने 12 एनएसएस अधिकारियों को हटा दिया है। इस घटना के बाद छात्रों और हिंदूवादी संगठनों ने प्रदर्शन किया, जिसमें कुलपति को हटाने की मांग की गई। प्रदर्शन के दौरान, विद्यार्थियों ने “जीजीयू नहीं बनेगा जेएनयू” जैसे नारे लगाए, जो यह दर्शाता है कि वे विश्वविद्यालय के माहौल को लेकर चिंतित हैं। पुलिस के साथ भी प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। इस घटना के अनुसार, शिवतराई कोटा में आयोजित एनएसएस कैंप में 159 विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिनमें से अधिकांश हिंदू थे। आरोप है कि ईद उल फितर के दिन मुस्लिम विद्यार्थियों को स्टेज पर बुलाकर नमाज पढ़वाई गई और अन्य विद्यार्थियों पर भी नमाज पढ़ने का दबाव डाला गया। इस घटना के बाद से विश्वविद्यालय में तनाव बढ़ गया है और प्रशासन पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- NSS कैंप के दौरान, छात्रों ने आरोप लगाया कि ईद के दिन सभी प्रतिभागियों से नमाज पढ़वाई गई, जबकि उनमें से अधिकांश हिंदू थे।
- छात्रों ने इस मामले में कोनी थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई।
विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई
- शिकायत के बाद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की।
- NSS के कोडिनेटर प्रो. दिलील झा को हटा दिया गया।
- प्रो. राजेन्द्र कुमार मेहता को NSS का नया कोडिनेटर नियुक्त किया गया।

प्रदर्शन और प्रतिक्रिया
- इस घटना के बाद, विश्वविद्यालय में छात्रों और हिंदू संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया गया।
- प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगें रखीं।
जांच की प्रक्रिया
- पुलिस अधीक्षक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की है।
- एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी गठित की गई है, जो 24 घंटे में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
सामाजिक प्रभाव
- यह घटना धार्मिक सहिष्णुता और विद्यार्थियों के अधिकारों पर सवाल उठाती है।
- विश्वविद्यालय में तनाव बढ़ने के साथ ही प्रशासन की भूमिका पर भी चर्चा हो रही है।
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