भोपाल, मध्य प्रदेश की राजधानी में एक नया विवाद सामने आया है, जहाँ सरकारी आवासीय परिसर की ज़मीन पर अवैध रूप से मज़ारें बनाई गई हैं। यह मामला तब उजागर हुआ जब स्थानीय पार्षद ने इन संरचनाओं को लेकर प्रशासन को शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला कि इन मज़ारों को जानबूझकर जालियों से ढककर छुपाया गया था, ताकि प्रशासन और आम जनता की नज़रों से बचा जा सके।
क्या है पूरा मामला?
- भोपाल के 1250 शासकीय आवासीय परिसर में दो मज़ारें अचानक सामने आईं।
- पहले इन्हें जालियों से ढका गया था, लेकिन जब ये जालियाँ हटाई गईं, तो मज़ारें स्पष्ट दिखने लगीं।
- वार्ड 31 की भाजपा पार्षद बृजुला संचान ने इसकी शिकायत एसडीएम से की।
- स्थानीय निवासियों ने बताया कि पहले यहाँ दूसरा परिवार रहता था, जिसने इन जालियों को लगा रखा था।
- नए निवासियों ने स्पष्ट किया कि वे सरकारी ज़मीन पर बनी इन मज़ारों के खिलाफ कोई आपत्ति नहीं रखते, लेकिन प्रशासन को उचित कार्रवाई करनी चाहिए।

प्रशासन की जांच क्यों अटकी?
- एसडीएम अर्चना रावत शर्मा ने इस मामले में संपदा और लोक निर्माण विभाग (PWD) से जवाब माँगा है।
- हालाँकि, शनिवार-रविवार के सरकारी अवकाश के कारण जाँच में देरी हो रही है।
- अब यह मामला कोलार तहसील के अंतर्गत आता है, और नए एसडीएम रविशंकर राय इसकी जाँच कर रहे हैं।
क्या होगा आगे की कार्रवाई?
- अधिकारियों का कहना है कि सोमवार-मंगलवार तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
- यह पता लगाया जा रहा है कि किसने और कब इन मज़ारों को बनवाया।
- यदि यह अवैध कब्ज़ा साबित होता है, तो प्रशासन इन्हें हटाने की कार्रवाई कर सकता है।
निष्कर्ष:
यह मामला सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जे और धार्मिक संरचनाओं के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। प्रशासन की जाँच इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या यहाँ वास्तव में कोई पुरानी धार्मिक इमारत थी या फिर इसे जानबूझकर अवैध तरीके से स्थापित किया गया। अगर दूसरा मामला सच साबित होता है, तो यह भोपाल में सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर देगा।
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