अब मैं अंग्रेज़ी में बोलूंगा, क्योंकि कुछ लोग समझना ही नहीं चाहते और हर बात को धूमिल कर देते हैं: धनखड़
रिपोर्ट- आकाश सेन
भोपाल: रविंद्र भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य की नई पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ का विमोचन किया। कार्यक्रम में वृंदावन के श्री आनंदम धाम आश्रम के पीठाधीश्वर सद्गुरु ऋतेश्वर जी महाराज, संघ के मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडे, और कई संघ पदाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
धनखड़ बोले “पुस्तक हमारा गौरवशाली अतीत दिखाती है
अपने संबोधन में धनखड़ ने कहा कि “यह पुस्तक हमारी गौरवशाली बातों का दर्पण है। थोड़ी सी सतह में जाइए, डुबकी लगाइए, आपका अतीत कितना महान है, ये समझ आ जाएगा। यह 8 वर्षों के अनुभवों का संग्रह है। इसमें प्रणव दा पर भी दो लेख हैं। यह पुस्तक सोए हुए को जगा देगी।

उन्होंने आगे कहा कि “मैं आगे अंग्रेजी में संबोधन करूंगा, क्योंकि जो लोग समझना नहीं चाहते और हर हाल में धूमिल करते हैं, उन्हें मेरा सही मन्तव्य समझ नहीं आएगा। भगवान करे कोई नैरेटिव के चक्कर में न फंसे।
धनखड़ ने एक प्रेरक पंक्ति कहते हुए कहा कि “जो सोया है उसे जगा सकते हैं, लेकिन जो जागकर भी सोया है, उसे नहीं जगा सकते। यह कार्यक्रम उप-राष्ट्रपति पद से त्यागपत्र के बाद उनका पहला सार्वजनिक भाषण भी रहा।
डॉ. मनमोहन वैद्य बोले, “बेवजह के विरोध ने मुझे लेखक बनाया। विमोचन के दौरान लेखक डॉ. मनमोहन वैद्य ने अपने लेखन की प्रेरणा साझा करते हुए कहा कि “एक घटना ने मेरे अंदर के लेखक को जागृत किया। संघ के तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण वर्ग में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को बुलाया गया था। वे संघ में शामिल होने नहीं आए थे, सिर्फ संबोधन देने के लिए आए थे। लेकिन बेवजह हुआ विरोध देखकर मैंने लेखन की शुरुआत की। बेवजह विरोध करने से संघ का लाभ ही होता है। उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ को अपना ‘अभिभावक’ भी बताया।





