भोपाल: जैसे ही मानसून दस्तक देता है, मच्छर जनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। जापानी इंसेफ्लाइटिस (JE), डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोग हर साल कई लोगों को अपनी चपेट में लेते हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए मध्य प्रदेश सरकार अब आधुनिक तकनीक की मदद लेने जा रही है।
AI और GPS आधारित ड्रोन सर्वे की शुरुआत
स्वास्थ्य विभाग ने इंदौर में सफल परीक्षण के बाद अब भोपाल और ग्वालियर में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और GPS आधारित इंटीग्रेटेड ड्रोन सर्विस शुरू करने की योजना बनाई है। इसका मुख्य उद्देश्य मच्छरों के लार्वा को समय रहते पहचानना और उसे नष्ट करना है।
इन जगहों पर होगा सर्वे:
- ऊंची इमारतों की छतें
- खाली प्लॉट
- जलभराव वाले क्षेत्र
ड्रोन से हाई-रेजोल्यूशन इमेज लेकर संभावित ब्रीडिंग साइट्स को चिन्हित किया जाएगा। जहां कर्मचारी नहीं पहुंच पाते, वहां ड्रोन का इस्तेमाल एक गेम-चेंजर साबित होगा।
लार्वा मिला तो सीधे कार्रवाई
यदि किसी इमारत की छत पर मच्छरों का लार्वा पाया जाता है, तो उस भवन के खिलाफ चालान की कार्रवाई की जाएगी। इससे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और वे अपनी छतों को साफ रखने के लिए प्रेरित होंगे।
5 चरणों में चलेगा पूरा अभियान
ड्रोन प्रोजेक्ट को एक व्यवस्थित रणनीति के तहत पांच चरणों में लागू किया जाएगा:
- मैपिंग: हाई-रिस्क इलाकों की GPS आधारित मैपिंग
- इमेज कैप्चर: हाई-रेजोल्यूशन इमेज के जरिए लार्वा वाली जगहों की पहचान
- डेटा शेयरिंग: इमेजेस को नगर निगम और मलेरिया विभाग के साथ साझा करना
- ग्राउंड एक्शन: टीम मौके पर जाकर लार्वा को नष्ट करेगी
- ड्रोन से दवा छिड़काव: जरूरत पड़ने पर ड्रोन से ही छिड़काव और दोबारा मैपिंग
इंदौर में पायलट प्रोजेक्ट रहा सफल
इंदौर में पहले यह तकनीक प्रयोग के तौर पर अपनाई गई थी और नतीजे आशाजनक रहे:
- 10 हाई-रिस्क एरिया में ड्रोन सर्वे और दवा छिड़काव
- डेंगू के मामलों में 60% की गिरावट
- पिछले वर्ष 700 से ज्यादा केस थे, इस बार घटकर 550 रह गए
2030 तक मलेरिया मुक्त प्रदेश बनाने का लक्ष्य
स्वास्थ्य विभाग के उप संचालक डॉ. हिमांशु जायसवाल ने बताया कि इस तकनीक से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों की रोकथाम में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है।
दवा नीति में भी बदलाव:
- अब तक: 40% ऑर्गेनिक, 60% केमिकल दवाएं
- अब से: 75% ऑर्गेनिक, 25% केमिकल दवाएं
- इससे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव कम होंगे और लोगों की सेहत सुरक्षित रहेगी
हाई-टेक तकनीक से होगा बीमारियों पर नियंत्रण
ड्रोन और AI जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से मच्छरों के प्रकोप को समय रहते रोका जा सकेगा। यह पहल न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा को बेहतर बनाएगी, बल्कि लोगों की भागीदारी और जिम्मेदारी को भी बढ़ाएगी।