रिपोर्टर: गिर्राज बौहरे, BY: MOHIT JAIN
भिंड। जिला चिकित्सालय की व्यवस्था लगातार सवालों के घेरे में है। यहां मरीजों और उनके परिजनों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। अस्पताल की लापरवाही का आलम यह है कि बच्चों से लेकर वयस्क मरीजों तक को बिना बेडशीट के पुराने और फटे गद्दों पर लिटाया जा रहा है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलती है बल्कि संक्रमण फैलने का भी खतरा बढ़ाती है।
बिना बेडशीट के पलंग पर मरीज

अस्पताल के PICU वार्ड का हाल सबसे खराब है। यहां भर्ती मासूम बच्चों के लिए साफ-सुथरी बेडशीट तक उपलब्ध नहीं है। परिजन जब बेडशीट मांगते हैं तो उन्हें टाल दिया जाता है। कई परिजनों का कहना है कि अस्पताल स्टाफ न सिर्फ बेडशीट देने से इंकार कर देता है बल्कि ज्यादा पूछने पर दुर्व्यवहार भी करता है।
छोटे बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़
बिना बेडशीट और गंदे गद्दों पर बच्चों को लिटाना किसी खिलवाड़ से कम नहीं। डॉक्टर भले ही दवाइयों से इलाज कर रहे हों, लेकिन ऐसी लापरवाही से बच्चों के संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अस्पताल प्रशासन के प्रति लोगों में नाराज़गी भी लगातार बढ़ रही है।
अस्पताल स्टाफ की मनमानी
स्थिति यहीं तक सीमित नहीं रही। वार्ड में एक मामला ऐसा भी सामने आया जहां एक महिला अटेंडर की ड्यूटी उसके पति करता हुआ मिला। जब इस पर सवाल पूछा गया तो उसने साफ़ कहा कि उसकी पत्नी यहां अटेंडर है और वह उसकी जगह ड्यूटी कर रहा है। यह अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और ढीली कार्यप्रणाली को उजागर करता है।
मरीजों की आवाज़ दबा रहे कर्मचारी
अस्पताल में इलाज कराने आए कई मरीजों और उनके परिजनों ने बताया कि जब वे सुविधाओं को लेकर सवाल करते हैं तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। कई बार स्टाफ खुलेआम झगड़ालू व्यवहार करता है। इस रवैये से मरीजों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है।
भिंड जिला चिकित्सालय की स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़े सवाल खड़े करती है। जब मरीजों को साफ बेडशीट जैसी बुनियादी सुविधा तक नहीं मिल रही, तो बेहतर इलाज की उम्मीद कैसे की जा सकती है? जरूरत है कि प्रशासन तुरंत कार्रवाई करे और अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं को दूर करे।