भारत की सुरक्षा पर सवाल: चीन-पाकिस्तान की जोड़ी कितनी खतरनाक?

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Question on India's security: How dangerous is the China-Pakistan duo?

आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जो भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह है चीन का पाकिस्तान को भारत के खिलाफ एक हथियार के रूप में उपयोग करना। यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में इस रणनीति ने नए और खतरनाक आयाम ले लिए हैं। इस लेख में हम तथ्यों और सबूतों के साथ समझेंगे कि कैसे चीन, पाकिस्तान के माध्यम से भारत को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है, और इसके पीछे क्या मंशा है। तो चलिए, शुरू करते हैं!

1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: चीन-पाकिस्तान की दोस्ती

चीन और पाकिस्तान की दोस्ती को अक्सर “आल-वेदर फ्रेंडशिप” (हर मौसम की दोस्ती) कहा जाता है। यह रिश्ता 1960 के दशक में शुरू हुआ, जब दोनों देशों ने भारत के खिलाफ एक साझा रणनीति बनानी शुरू की। 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद यह दोस्ती और गहरी हो गई। लेकिन क्या यह दोस्ती सिर्फ आपसी हितों पर आधारित है? नहीं! यह एक रणनीतिक गठजोड़ है, जिसमें चीन, पाकिस्तान को भारत के खिलाफ एक प्रॉक्सी (माध्यम) के रूप में इस्तेमाल करता है।

Question on India's security: How dangerous is the China-Pakistan duo?

सबूत:

  • 1963 का बॉर्डर समझौता: पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जाए गए कश्मीर (PoK) के हिस्से को चीन को सौंप दिया, जिसे अब ट्रांस-कराकोरम ट्रैक्ट कहा जाता है। यह भारत के लिए एक रणनीतिक नुकसान था।
  • परमाणु सहायता: 1980 और 1990 के दशक में चीन ने पाकिस्तान को परमाणु हथियार बनाने में मदद की। इसका उद्देश्य था भारत के खिलाफ एक “न्यूक्लियर डिटरेंट” (परमाणु निरोध) तैयार करना।

2. CPEC: आर्थिक गलियारा या रणनीतिक चाल?

चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक हिस्सा बताया जाता है। यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है। लेकिन क्या यह सिर्फ आर्थिक विकास के लिए है? तथ्य कुछ और कहते हैं।

तथ्य और सबूत:

  • ग्वादर पोर्ट का रणनीतिक महत्व: ग्वादर, अरब सागर में स्थित है और भारत के पश्चिमी तट के करीब है। चीन ने इस बंदरगाह को 40 साल के लिए लीज पर लिया है। यह न केवल व्यापार के लिए, बल्कि भारतीय नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भी इस्तेमाल हो सकता है।
  • PoK में चीनी मौजूदगी: CPEC का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। यह भारत की संप्रभुता का उल्लंघन है और क्षेत्र में तनाव बढ़ाता है।
  • सैन्य उपयोग की आशंका: कई विशेषज्ञों का मानना है कि CPEC के तहत बनाए जा रहे बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल भविष्य में सैन्य उद्देश्यों के लिए हो सकता है। उदाहरण के लिए, ग्वादर में चीनी नौसेना की मौजूदगी भारत के लिए खतरा बन सकती है।

विश्लेषण:

CPEC के जरिए चीन न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है, बल्कि भारत के खिलाफ एक रणनीतिक घेरा भी बना रहा है। यह भारत के लिए दोहरी चुनौती है: एक तरफ आर्थिक, दूसरी तरफ सैन्य।

3. सैन्य सहयोग: पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति

चीन, पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर हथियार और सैन्य तकनीक प्रदान करता है। इसका मकसद भारत के खिलाफ एक मजबूत सैन्य शक्ति तैयार करना है।

सबूत:

  • JF-17 फाइटर जेट्स: पाकिस्तान की वायुसेना में शामिल JF-17 थंडर जेट्स को चीन के साथ मिलकर विकसित किया गया है। हाल ही में खबर आई कि बांग्लादेश भी इन जेट्स को खरीदने में रुचि दिखा रहा है, जिसके पीछे चीन और पाकिस्तान की रणनीति हो सकती है।
  • J-35 स्टील्थ फाइटर्स: पाकिस्तान कथित तौर पर चीन से 40 J-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स खरीदने की योजना बना रहा है। यह चीन का पहला पांचवीं पीढ़ी का जेट होगा, जो भारत की वायुसेना के लिए चुनौती बन सकता है।
  • नौसेना का विस्तार: चीन, पाकिस्तान की नौसेना को नए पनडुब्बियां और युद्धपोत बनाने में मदद कर रहा है। यह भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए खतरा है।

विश्लेषण:

चीन जानता है कि वह भारत के साथ सीधे युद्ध में नहीं उलझ सकता, क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर उसकी छवि खराब होगी। इसलिए वह पाकिस्तान को हथियार देकर भारत पर दबाव बनाता है। यह एक प्रॉक्सी वॉर (प्रतिनिधि युद्ध) की रणनीति है।

4. बांग्लादेश कार्ड: नया मोर्चा

हाल के महीनों में चीन ने बांग्लादेश को भी अपनी रणनीति में शामिल करना शुरू किया है। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के हटने के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने चीन और पाकिस्तान के साथ नजदीकी बढ़ाई है। यह भारत के लिए एक नया खतरा है।

तथ्य और सबूत:

  • यूनुस का चीन दौरा: मार्च 2025 में यूनुस ने चीन का दौरा किया और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को “लैंडलॉक्ड” बताकर चीन को इस क्षेत्र में आर्थिक प्रभाव बढ़ाने के लिए आमंत्रित किया। यह भारत के लिए एक उकसावेपूर्ण बयान था।
  • पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग: बांग्लादेश ने पाकिस्तान से JF-17 जेट्स खरीदने की इच्छा जताई है और बांग्लादेशी वायुसेना के अधिकारी पाकिस्तान में प्रशिक्षण लेने जा रहे हैं।
  • मोंगला पोर्ट: यूनुस ने मोंगला पोर्ट के उन्नयन का जिम्मा चीन को सौंपा है। यह भारत के कोलकाता से करीब है और भारतीय नौसेना के लिए खतरा बन सकता है।

विश्लेषण:

चीन, बांग्लादेश को पाकिस्तान के करीब लाकर भारत के पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर एक साथ दबाव डालने की कोशिश कर रहा है। यह भारत के लिए “थ्री-फ्रंट चैलेंज” (चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश) बन सकता है।

5. आतंकवाद और ISI का समर्थन

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को चीन का अप्रत्यक्ष समर्थन मिलता है। ISI भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देती है, और चीन इस पर चुप्पी साधे रहता है।

सबूत:

  • रोहिंग्या आर्म्ड ग्रुप: हाल की खबरों के अनुसार, ISI रोहिंग्या समुदाय के बीच एक सशस्त्र समूह बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें चीन का समर्थन हो सकता है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं पर अस्थिरता पैदा कर सकता है।
  • मुंबई हमले: 2008 के मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को पाकिस्तान ने पनाह दी थी। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को कई बार वीटो किया।

विश्लेषण:

चीन, ISI की गतिविधियों पर चुप रहकर अप्रत्यक्ष रूप से भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देता है। यह उसकी “साइलेंट प्रॉक्सी” रणनीति का हिस्सा है।

6. भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की रणनीति

भारत इस चुनौती से निपटने के लिए कई कदम उठा रहा है, लेकिन अभी और सख्ती की जरूरत है।

भारत के कदम:

  • रक्षा सशक्तिकरण: भारत ने हाल ही में 156 लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (LCH) बनाने का ऑर्डर दिया है, जो चीन और पाकिस्तान के लिए एक मजबूत जवाब है।
  • कूटनीतिक दबाव: भारत ने बांग्लादेश के साथ ट्रांजिट सुविधा रद्द कर दी, जो यूनुस के चीन-पाकिस्तान नजदीकी के जवाब में था।
  • नौसेना का विस्तार: भारत राफेल मरीन विमानों और पनडुब्बियों के जरिए अपनी समुद्री ताकत बढ़ा रहा है।

सुझाव:

  1. क्वाड को मजबूत करें: भारत को अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड गठबंधन को और मजबूत करना चाहिए ताकि चीन की समुद्री गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
  2. बांग्लादेश के साथ कूटनीति: भारत को यूनुस सरकार के साथ रचनात्मक बातचीत शुरू करनी चाहिए ताकि बांग्लादेश को चीन-पाकिस्तान खेमे से दूर रखा जा सके।
  3. आर्थिक दबाव: भारत को अपने आर्थिक प्रभाव का इस्तेमाल करके पाकिस्तान और बांग्लादेश पर दबाव बनाना चाहिए।

निष्कर्ष

चीन, पाकिस्तान को भारत के खिलाफ एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। चाहे वह CPEC हो, सैन्य सहायता हो, या बांग्लादेश के जरिए नया मोर्चा खोलना, चीन की मंशा साफ है: भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कमजोर करना। लेकिन भारत भी चुप नहीं बैठा है। अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत के जरिए भारत इस चुनौती का जवाब दे रहा है।

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