भारत ने हाल ही में 67 अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेज दिया, लेकिन इसमें से 13 लोग भारत और बांग्लादेश की सीमा पर ‘जीरो लाइन’ में फंस गए हैं। यह मामला दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे अवैध प्रवास और सीमा सुरक्षा विवाद को और गहरा करता है।
मुख्य बातें –
- भारत ने 67 अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेजा।
- 13 लोग बांग्लादेशी सीमा सुरक्षा बल (BGB) द्वारा एंट्री से इनकार के कारण ‘जीरो लाइन’ पर फंसे।
- बांग्लादेश ने भारत पर अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया।
- इस मुद्दे पर बांग्लादेशी सेना की ओर से सख्त प्रतिक्रिया आई है।
- भारत-बांग्लादेश संबंधों में पहले से ही तनाव है, जो और बढ़ता जा रहा है।
जीरो लाइन पर फंसे 13 लोग: क्या है मामला?
भारत ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की है। मंगलवार को 67 लोगों को भेजा गया, लेकिन बुधवार को भेजे गए 13 लोगों को बांग्लादेश ने लेने से मना कर दिया। भारत ने भी इन्हें वापस लेने से इनकार कर दिया, जिससे ये लोग भारत-बांग्लादेश सीमा की जीरो लाइन पर फंस गए।
कौन हैं ये लोग?
- ये 13 लोग बांग्लादेश के लालमोनिरहाट इलाके में फंसे हैं।
- इनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल हैं।
- इनकी पहचान या नागरिकता की पूरी जानकारी फिलहाल सामने नहीं आई है।
बांग्लादेश की प्रतिक्रिया: सेना की चेतावनी
बांग्लादेश सरकार और मीडिया का कहना है कि भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।
बांग्लादेशी सेना अधिकारी का बयान:
“भारत द्वारा हमारे देश में जबरन नागरिकों को भेजना अस्वीकार्य है। जरूरत पड़ी तो सेना इसमें हस्तक्षेप कर सकती है।”
आंकड़े:
- 7 मई से अब तक भारत ने 800 से अधिक लोगों को बांग्लादेश भेजा है।
- इनमें भारतीय नागरिक और रोहिंग्या शरणार्थी भी शामिल हैं।
- भारत के अनुसार, 2024 के अप्रैल तक 100 अवैध प्रवासियों को BGB को सौंपा जा चुका है।
भारत की रणनीति: सीमा पर कड़ी निगरानी और बाड़बंदी
भारत-बांग्लादेश की सीमा 4,096.7 किलोमीटर लंबी है, जिसमें से अधिकतर हिस्सा खुला है। इस कारण अवैध घुसपैठ एक बड़ी समस्या बन चुकी है।
भारत सरकार की पहल:
- 3,232 किलोमीटर सीमा पर बाड़ लगाई जा चुकी है।
- फरवरी 2025 में सरकार ने सीमा पर कड़ी निगरानी और बाड़बंदी को लेकर सख्त फैसले लिए।
- संसद में 2016 में दिए आंकड़ों के अनुसार, भारत में करीब 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं।
बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव और भारत पर असर
2024 के अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में बदलाव आया है।
नई अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने चीन और पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ाई हैं। इससे भारत के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक चुनौतियां पैदा हुई हैं।
भारत-बांग्लादेश के बीच मौजूदा तनाव के मुख्य कारण
- अवैध आप्रवासन
- सीमा पर बाड़बंदी और निगरानी
- राजनीतिक अस्थिरता और नए गठबंधन
- सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़े विवाद
आगे क्या?
भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा सुरक्षा और अवैध प्रवास जैसे मुद्दों को लेकर स्थिति लगातार तनावपूर्ण होती जा रही है। जीरो लाइन पर फंसे 13 लोगों की स्थिति ने इस मुद्दे को और गहरा कर दिया है।
यदि दोनों देशों के बीच कोई सामूहिक समाधान या संवाद नहीं हुआ, तो यह विवाद और बढ़ सकता है, जिसका असर क्षेत्रीय शांति और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा।





