BY: Yoganand Shrivastva
ब्रिस्बेन (ऑस्ट्रेलिया) – छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में कथा कर रहे हैं, जहां भारी संख्या में एनआरआई हिंदू उनकी कथा सुनने पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने प्रवासी हिंदुओं से भावुक अपील करते हुए कहा कि यदि वे अपनी संस्कृति और एकता को नहीं अपनाएंगे तो वे धीरे-धीरे इस देश में विलुप्त हो सकते हैं।
“हिंदू संस्कृति को जीवित रखो, नहीं तो अस्तित्व मिट जाएगा”
धीरेंद्र शास्त्री ने मंच से कहा,
“ऑस्ट्रेलिया के हिंदुओं, अगर तुम एक नहीं हुए, तो तुम मंदिरों में बंटे रहोगे – कोई उत्तर भारत का, कोई दक्षिण भारत का, कोई गुजरात का, कोई पंजाब का। इस बंटवारे में एक दिन ऐसा आएगा जब इस देश में तुम्हारा नामोनिशान नहीं रहेगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी अन्य देश में रहते हुए वहां की संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है, लेकिन अपनी जड़ों को भूलना आत्म-नाश के समान है।
“हिंदू होकर अगर हिंदुओं के काम नहीं आए, तो फिर क्या फायदा?”
अपने संबोधन में शास्त्री जी ने अप्रवासी भारतीयों के व्यवहार की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा,
“यहाँ हमने कई अमीर हिंदू देखे हैं, लेकिन जब भारत से कोई गरीब विद्यार्थी या ज़रूरतमंद आता है, तो उसे एक दिन की मदद भी नहीं मिलती। यह सोच बदलनी होगी।”
“भारत में अब भी बची है इंसानियत”
भारत की सामाजिक भावना की सराहना करते हुए उन्होंने कहा,
“भारत में जात-पात की परवाह किए बिना लोग अतिथि को भोजन देते हैं, खुद भूखे रहकर भी। जबकि यहाँ मानवता में कमी आती दिख रही है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत में मौजूद उनके माता-पिता, उनका परिवार और भारत माता उन्हें याद कर रही है, इसलिए हर प्रवासी भारतीय का यह कर्तव्य है कि वह भारत और हिंदू एकता के लिए कुछ समय दे।
“हर दिन एक घंटा हिंदू एकता को”
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा,
“आपको कुछ विशेष नहीं करना है, बस हर दिन 24 घंटे में से एक घंटा हिंदू एकता के लिए निकालिए। पंजाब, बिहार, गुजरात, तमिलनाडु – इन राज्यों की सीमाएं भूल जाइए। हम सब पहले भारतीय हैं।”
उन्होंने हर धर्मनिष्ठ भारतीय को यह याद दिलाया कि हमारी असली पहचान हमारा ‘भारतीय’ होना है। उन्होंने अपील की कि हर कोई तिरंगा हाथ में लेकर भारत और हिंदू एकता का संदेश फैलाए।