रिपोर्टर: रूपेश कुमार
झारखंड के हजारीबाग जिले के चुरचू प्रखंड अंतर्गत बहेरा पंचायत की एक साधारण गृहिणी सुमित्रा देवी आज ग्रामीण महिलाओं के लिए एक जीवंत प्रेरणा बन चुकी हैं। कभी सामाजिक बंधनों और आर्थिक तंगी से जूझती रहीं सुमित्रा देवी ने अब अपनी पहचान एक सफल किसान नेता और महिला उत्पादक संगठन (एफपीसी) की अध्यक्ष के रूप में बनाई है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि अगर हिम्मत और सही दिशा मिले, तो ग्रामीण महिलाएं भी बदलाव की अगुआ बन सकती हैं।
संघर्षों से आत्मनिर्भरता तक का सफर
सुमित्रा देवी का जीवन कभी भी आसान नहीं रहा। सीमित आमदनी, घरेलू जिम्मेदारियां और सामाजिक मर्यादाओं के बीच वे हमेशा घर की चारदीवारी में सिमटी रहीं। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि बच्चों को बेहतर शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। लेकिन सुमित्रा के भीतर कुछ कर दिखाने की आग थी—एक ऐसी ललक, जिसे सिर्फ अवसर की तलाश थी।
2018: बदलाव की शुरुआत
वर्ष 2018 में उनका जीवन उस मोड़ पर आया जब उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) से जुड़ने का निर्णय लिया। यहीं से उनकी सामाजिक और आर्थिक यात्रा का नया अध्याय शुरू हुआ। उन्होंने “ज्योति महिला विकास संघ” नामक स्व-सहायता समूह की सदस्यता ली, जिसने उन्हें न सिर्फ आत्मविश्वास से भर दिया, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण का रास्ता भी दिखाया।
नेतृत्व में मिली नई पहचान
सुमित्रा देवी को 6 जून 2018 को “चुरचू नारी ऊर्जा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी” का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में यह एफपीसी आज 4500 से अधिक किसानों का साझा मंच बन चुकी है। चुरचू ब्लॉक के 66 और डाड़ी ब्लॉक के 8 उत्पादक समूह इससे जुड़े हैं। कंपनी अब तक करीब ₹14 करोड़ का व्यवसाय कर चुकी है, जिसमें कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, लाह उत्पादन और चूड़ी निर्माण जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
सुमित्रा देवी कहती हैं:
“पहले मैं सिर्फ रसोई तक सीमित थी, लेकिन आज परिवार के हर निर्णय में मेरी राय अहम मानी जाती है। आत्मनिर्भरता ने मुझे आत्मसम्मान दिया है।”
खेती में नवाचार और लाभ
सुमित्रा देवी ने सिर्फ संगठन नहीं संभाला, बल्कि खुद खेती-किसानी में भी नवाचार किए। जायद सीजन में उन्होंने तीन एकड़ ज़मीन पर तरबूज की खेती कर लगभग ₹1.5 लाख का मुनाफा कमाया। अब वे खीरे की खेती में जुटी हैं, जिसकी तुड़ाई जुलाई के अंत तक शुरू होगी। वे वैज्ञानिक तरीके से खेती कर, दूसरों को भी प्रशिक्षण दे रही हैं।
महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा
आज बहेरा गांव की सैकड़ों महिलाएं सुमित्रा देवी की राह पर चल पड़ी हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि यदि ग्रामीण महिलाओं को उचित मार्गदर्शन, संसाधन और मंच मिल जाए, तो वे खुद ही नहीं, पूरे समाज को सशक्त बना सकती हैं।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर शुरू किया सफर
- FPC की अध्यक्ष बनकर संभाला नेतृत्व
- 4500+ किसानों को जोड़ा एक मंच पर
- अब तक ₹14 करोड़ से अधिक का व्यापार
- तरबूज और खीरे की खेती से अर्जित की सफलता
- गांव की महिलाएं बनीं स्वरोजगार के लिए जागरूक