ईरान और इजराइल के बीच चल रहे युद्ध में अब अमेरिका ने भी औपचारिक रूप से हस्तक्षेप कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुष्टि की है कि अमेरिकी वायुसेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया है। इन हमलों से पहले इजराइल को इसकी पूरी जानकारी दे दी गई थी।
इजराइल और अमेरिका में पूर्ण समन्वय
इजरायली मीडिया और सरकारी प्रसारक ‘कान’ के अनुसार, अमेरिका और इजराइल के बीच इस ऑपरेशन को लेकर पूरा समन्वय था। अमेरिका ने ईरान के Fordow, Natanz और Isfahan स्थित परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया।
- इजराइल के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि उन्हें हमले की पूर्व जानकारी थी।
- अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर का उपयोग किया, जो गुप्त रूप से भारी बम गिराने की क्षमता रखते हैं।
ट्रंप ने किया हमले की पुष्टि
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर एक बयान में कहा:
“हमने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर सफलतापूर्वक हमला किया है। सभी विमान अब ईरान की वायुसीमा से बाहर निकल चुके हैं।”
उन्होंने यह भी लिखा:
“Fordow साइट पर पूरे बमों का भार गिराया गया। यह साइट अब समाप्त हो चुकी है। सभी विमान सुरक्षित वापस लौट रहे हैं।”
ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’ से शुरू हुई जंग
ईरान-इजराइल युद्ध की शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इजराइली सेना ने ‘Operation Rising Lion’ के तहत ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला किया था। इसके बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिससे पूरा मध्य पूर्व युद्ध के कगार पर पहुँच गया।
अमेरिका के B-2 स्टील्थ बॉम्बर: क्या है खासियत?
- B-2 बॉम्बर को विशेष रूप से दुश्मन के कड़े सुरक्षा वाले क्षेत्रों में बिना पहचान के घुसने के लिए बनाया गया है।
- ये विमान बंकर बस्टर बम गिरा सकते हैं जो भूमिगत ठिकानों को भी ध्वस्त करने में सक्षम हैं।
- हमले से पहले ये बॉम्बर गुआम में तैनात किए गए थे।
क्यों महत्वपूर्ण है यह हमला?
- अमेरिका का यह हमला केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि राजनीतिक संकेत भी है कि वाशिंगटन अब खुलकर इजराइल के साथ खड़ा है।
- इस हमले से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुँचा है, खासकर Fordow जैसी अत्यधिक सुरक्षात्मक साइट को।
इजराइल की तैयारी: लंबी जंग की आशंका
इजराइली रिपोर्ट्स के अनुसार, अब इजराइल भी लंबी जंग की तैयारी कर रहा है। अमेरिका के इस हमले ने ईरान को उकसाया है, जिससे मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ने की संभावना है।
निष्कर्ष
ईरान, इजराइल और अब अमेरिका के शामिल होने से यह संघर्ष अब एक अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल चुका है। अमेरिका का हमला केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी है कि वह किसी भी कीमत पर ईरान के परमाणु इरादों को सफल नहीं होने देगा। इस बीच, पूरी दुनिया की नजर अब अगले कदम पर टिकी है।