जानिए, ‘व्हाइट-कॉलर’ मॉड्यूल और समाज की जवाबदेही के बारे में तल्ख टिप्पणी
by: vijay nandan
नई दिल्ली: लाल किले के पास हुए कार-बम विस्फोट ने पूरे देश को हिला दिया। जांच में सामने आया है कि इस साजिश के साथ एक “व्हाइट-कॉलर” मॉड्यूल (पेशेवरों का नेटवर्क) जुड़ा है, जिसमें डॉक्टर जैसे पढ़े-लिखे पेशेवर शामिल हैं। यह तथ्य भयावह ही नहीं, बल्कि समाज के लिए गहरी आत्म-परीक्षा का पैगाम है। आतंकी डॉक्टर पर भारत की प्रसिद्ध स्तम्भकार, राजनैतिक लेखिका एवं साहित्यकार तवलीन सिंह ने तल्ख टिप्पणी की है, जिसे मैंने हेडलाइन बनाया है। उन्होंने x पर लिखा..
सभी आतंकवादी घृणित होते हैं लेकिन जब डॉ. आतंकवादी बन जाते हैं, तो यह और भी अधिक नीचता की पराकाष्ठा है, क्योंकि अपने करियर की शुरूआत में वे जीवन बचाने की शपथ लेते हैं, न कि उसे नष्ट करने की।
All terrorists are despicable. But, when doctors become terrorists it is more despicable because they take an oath to save lives when they start their careers.
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) November 11, 2025
डॉक्टरों का नाम कैसे सामने आया, क्या है ‘व्हाइट-कॉलर’ मॉड्यूल?
दिल्ली ब्लास्ट की जांच रिपोर्टों और मीडिया कवरेज के अनुसार विस्फोट से जुड़ी पड़ताल में कई राज्यों में छापेमारी की गई, जिसमें डॉक्टरों के तार इस नेटवर्क से जुड़े पाए गए। दिल्ली धमाके में Dr Muzammil Ganaie, Dr Adeel Ahmad शामिल पाए गए। Dr Umar Un Nabi दिल्ली ब्लास्ट में जिस कार में ब्लास्ट हुआ, उसे उमर चला रहा था। ये दिल्ली ब्लास्ट से सीधे जुड़े पाया गया है। जांच में सामने आया है कि Dr Shaheen Sayeed जैश ए मोहम्मद की महिला विंग से जुड़ी है। जो POK में छिपे बैठे मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर से जुड़ी है, जिस पर भारत में लेडी टेरेरिस्ट तैयार करने का जिम्मा था। Dr Ahmed Mohiyuddin Saiyed भी इस ब्लास्ट में शामिल बताया जा रहा है।


ऐसा मामला केवल इसलिए खतरनाक नहीं है कि ये लोग समाज की सेवा के लिए पढ़-लिखकर डॉक्टर बने, बल्कि इसलिए भी कि यह सवाल उठता है, इतने शिक्षित लोग रैडिकलाइज़ कैसे हुए? यह रैडिकलाइज़ेशन हमारी संस्थाओं, परिवारों और समुदायों की किसी न किसी चूक की ओर इशारा करता है। इस समय पुलिस और जांच एजेंसियां इन डॉक्टरों के वित्तीय लेन-देन, डिजिटल कम्युनिकेशन और सप्लाई चेन नेटवर्क की गहराई से पड़ताल कर रही हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये पेशेवर हथियारों और फंडिंग के स्रोत के रूप में कैसे सक्रिय हुए। शुरुआती जांच में बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और संसाधनों के कई सर्विस-नोड्स मिलने की बात भी सामने आई है।

युवाओं का गुमराह होना समाज की जिम्मेदारी
ऑल-इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “इस्लाम शांति का धर्म है” और धर्म के नाम पर निर्दोषों की हत्या को वह स्वीकार्य नहीं मानते। उनके शब्दों में, ऐसे कृत्यों से न केवल निर्दोषों की जान चली जाती है बल्कि धर्म की साख भी धूमिल होती है। यह बयान समुदाय के भीतर से आवाज़ उठने का प्रतिनिधित्व करता है, जो आतंकवाद को समुदाय का मामला मानकर ख़त्म करने की वकालत करता है।
#WATCH | Surat, Gujarat: On the Red Fort car bomb blast, Dr Imam Umer Ahmed Ilyasi, Chief Imam, All India Imam Organisation, says, "I want to condemn the incident that happened. It was very unfortunate. Innocent people have lost their lives… This is a murder of humanity… What… pic.twitter.com/s3ONqVlFSr
— ANI (@ANI) November 12, 2025
यह बात स्वीकार करने वाली और भी गम्भीर है कि पढ़े-लिखे नौजवानडॉक्टर, इंजीनियर भी रैडिकल समूहों में शामिल हो रहे हैं। इसका मतलब है कि केवल पुलिस कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं; हमें शिक्षा-स्थलों, परिवारों और धार्मिक संस्थानों में भी उन संवादों को शुरु करना होगा जो कर्न्स-ऑफ-रैडिकलाइज़ेशन को पहचानें और समय रहते रोकें।
डॉक्टर्स के आतंकी बनने पर वरिष्ठ पत्रकार हैदर नकवी ने भी x पर कई पोस्ट डाली है, जिसमें उन्होंने समाज का आईना दिखाने का काम किया है..
#DelhiBlast https://t.co/oV8LN1SSJm pic.twitter.com/SqaOCGu4VE
— Haidar Naqvi🇮🇳 (@haidarpur) November 13, 2025
आतंकवादी हर रूप में घृणास्पद हैं, जब वही आतंक किसी सफेद कोट वाले डॉक्टर द्वारा अंजाम दिया जाए तो समाज के भरोसे पर एक गहरी ठेस पहुँचता है। इसे केवल “कुछ बदमाशों की गलती” कह कर टाल देना ठीक नहीं होगा। इस पर टिकाऊ समाधान की मांग उससे कहीं अधिक है। पारिवारिक संवाद शिक्षा-सुधार, धार्मिक नेतृत्व की सक्रिय भागीदारी और प्रशासनिक जवाबदेही, इन सबका मिश्रण ही हमें फिर से सुरक्षित और समावेशी समाज दे सकता है।
हमारी सबसे बड़ी चुनौती है, वे बातें जो हम घरों, मस्जिदों और क्लासरूम में नहीं कर रहे, उन्हें शुरू करना। तभी पढ़े-लिखे युवा कट्टरता के जाल में फँसने से बचेंगे और किसी भी “व्हाइट-कॉलर” मॉड्यूल का प्रभाव सीमित होगा।
ये भी पढ़िए: पाक आतंकियों का नया चेहरा : PTPM और PTIM से आगे बढ़कर अब ‘स्लीपर सेल्स’ और मोड्यूल्स के फॉर्मेट में आतंकी





