BY: Yoganand Shrivastva
अयोध्या: नगरी दीपोत्सव की तैयारियों में इस समय पूरी तरह जगमगा रही है। इस वर्ष का दीपोत्सव पहले से भी अधिक भव्य और ऐतिहासिक होने जा रहा है। सरयू तट के 56 घाटों और मंदिरों को लाखों दीपों से सजाया जा रहा है, जिनकी रोशनी में इस बार न सिर्फ भारतीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय कलाकार भी रामकथा को सजीव रूप में प्रस्तुत करेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय रामलीला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें रूस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल और श्रीलंका के कलाकार अपनी-अपनी पारंपरिक शैली में भगवान श्रीराम की लीलाओं का मंचन करेंगे।
जानकारी के अनुसार, कुल 90 विदेशी कलाकार इस पवित्र आयोजन में भाग ले रहे हैं। यह न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का उत्सव होगा, बल्कि सांस्कृतिक एकता और वैश्विक स्तर पर भारतीय परंपरा के प्रचार का माध्यम भी बनेगा।
महीनों से चल रही तैयारी
राम कथा पार्क में इस वर्ष भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशी कलाकारों द्वारा भी रामलीला का मंचन किया जाएगा। रूस से आए 15 कलाकार “राम और सीता स्वयंवर” के दृश्य को प्रस्तुत करेंगे। बताया गया है कि इन कलाकारों ने कई महीनों तक भारतीय भावभंगिमा, संवाद और संगीत की तालमेल को साधने के लिए कठोर अभ्यास किया है।
थाईलैंड से आए 10 कलाकार “शूर्पणखा प्रसंग”, “मारीच से युद्ध” और “राम-रावण संग्राम” जैसे प्रसंगों को अपनी पारंपरिक नृत्यनाट्य शैली में प्रदर्शित करेंगे। वहीं इंडोनेशिया के कलाकार “लंका दहन” और “अयोध्या वापसी” के प्रसंग को अपने विशेष पारंपरिक नृत्य के साथ मंचित करेंगे, जिससे यह दृश्य दर्शकों के लिए अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।
नेपाल की 33 सदस्यीय टीम इस बार पहली बार “लक्ष्मण पर शक्ति प्रदर्शन” का दृश्य प्रस्तुत करेगी। अब तक उनकी रामलीला मुख्य रूप से सीता पर केंद्रित होती थी। श्रीलंका से आए 22 कलाकारों में से दो पहले ही अयोध्या पहुंच चुके हैं। यह दल “रावणेश्वर प्रसंग” पर आधारित प्रस्तुति देगा, जिसमें श्रीलंका के लोग रावण को ईश्वर के रूप में पूजने की अपनी परंपरा को मंच पर जीवंत करेंगे।
कब और कहाँ होगा आयोजन
अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के सलाहकार और विशेष कार्याधिकारी आशुतोष द्विवेदी के अनुसार, यह अंतरराष्ट्रीय रामलीला 17 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक आयोजित की जाएगी। उनका कहना है कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक भावना को प्रकट करना नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक मूल्यों और कला को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करना भी है।
दीपोत्सव बनेगा विश्व स्तर का सांस्कृतिक उत्सव
सूत्रों के मुताबिक, इस वर्ष की रामलीला में पारंपरिक भारतीय परिधान, भव्य लाइटिंग, आकर्षक मंच सज्जा और विदेशी कलाकारों की सांस्कृतिक शैलियाँ दर्शकों को अद्भुत अनुभव प्रदान करेंगी। इस आयोजन से न केवल भारतीय संस्कृति की अंतरराष्ट्रीय पहचान को नया आयाम मिलेगा, बल्कि अयोध्या में आयोजित दीपोत्सव की भव्यता और पर्यटन आकर्षण भी दोगुना होगा।
इस तरह अयोध्या की यह अंतरराष्ट्रीय रामलीला सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संगम बनकर यह संदेश देगी कि रामकथा अब केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की आस्था और संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है।