BY: Yoganand Shrivastva
सोनभद्र, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक ऐसा प्रेम प्रसंग सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। विंढमगंज थाना क्षेत्र के धरती डोलवा गांव में रहने वाले संजय पासवान ने सामाजिक मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए गांव की ही एक विवाहित महिला ललिता देवी से मंदिर में तीसरी शादी रचा ली। खास बात यह है कि संजय और ललिता—दोनों पहले से शादीशुदा हैं, और दोनों के पहले से चार-चार बच्चे हैं।
जब गांव में गूंजा इश्क का किस्सा, उठी पंचायत की लाठी
जैसे ही संजय और ललिता के इस रिश्ते की खबर गांव में फैली, हड़कंप मच गया। पहले तो दोनों के परिवारों में तूफान आया, फिर यह आग आसपास के गांवों तक जा पहुंची। इतना ही नहीं, झारखंड और बनारस से सटे गांवों के लोगों ने भी इस मामले पर गहरी आपत्ति जताई और महापंचायत बुलाई गई।
5 गांवों के बुजुर्ग, समाज के ठेकेदार और सैकड़ों लोग एक जगह इकट्ठा हुए। पंचायत का माहौल गंभीर था। चर्चा, गुस्सा और आंसुओं से भरी इस पंचायत में अंततः सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि संजय पासवान को समाज से बहिष्कृत किया जाए।
दूसरी पत्नी की चीख और बेहोशी बनी पंचायत की सबसे भावुक तस्वीर
महापंचायत में सबसे ज्यादा ध्यान खींचा संजय की दूसरी पत्नी मनीषा देवी का दर्द। चार बच्चों की मां मनीषा देवी पंचायत में जब बोलने के लिए खड़ी हुईं, तो उनका दर्द शब्दों में नहीं सिमट सका। वो फूट-फूटकर रो पड़ीं और कहा:
“मैंने उसकी हर बात मानी, परिवार के लिए सब कुछ सहा… लेकिन उसने मेरी और बच्चों की दुनिया उजाड़ दी। अब हमारे बच्चों का क्या होगा?”
इतना कहने के बाद मनीषा देवी बेहोश हो गईं। उनकी हालत देखकर पंचायत स्थल पर अफरा-तफरी मच गई। लोगों ने उन्हें संभाला, पानी के छींटे मारे, लेकिन इस दृश्य ने सभा में बैठे हर शख्स की आंखें नम कर दीं।
20 साल पुराना रिश्ता टूटा, परिवार बिखरा – ललिता के पति महेंद्र की टूटी हिम्मत
इस प्रेम-प्रसंग की सबसे गहरी चोट पड़ी है ललिता के पहले पति महेंद्र पासवान पर। महेंद्र ने बताया कि उन्होंने ललिता से लगभग 20 साल पहले शादी की थी और उनके चार बच्चे हैं। अब उनकी एक बेटी ललिता के साथ चली गई है, जबकि बाकी तीन बच्चे उनके पास हैं। भावुक स्वर में महेंद्र ने कहा:
“ललिता ने सिर्फ मुझे नहीं छोड़ा, उसने एक बाप की छाया बच्चों से छीन ली। ये किसी मौत से कम नहीं है।”
पंचायत का तीखा फैसला – “ऐसे लोग समाज के लिए खतरा हैं”
पंचायत में बैठे बुजुर्गों और समाज के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि ऐसे लोग सामाजिक संतुलन को बिगाड़ते हैं। पंचायत के फैसले में साफ तौर पर कहा गया:
“ऐसे व्यक्ति ने न केवल अपना घर तोड़ा, बल्कि कई परिवारों को बर्बाद कर दिया। समाज में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है।”
इसके बाद संजय पासवान को सार्वजनिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया। पंचायत ने तय किया कि गांव में किसी भी सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम में अब संजय की कोई भूमिका नहीं होगी।
फिर भी अड़े रहे संजय और ललिता – “हम साथ ही रहेंगे”
इतने विरोध, अपमान और सामाजिक बहिष्कार के बाद भी संजय और ललिता अपने फैसले पर डटे हुए हैं। उन्होंने साफ कहा कि वे अब अलग नहीं होंगे। वे दोनों मंदिर में शादी कर चुके हैं और साथ रहना चाहते हैं।
पुलिस और परिवारवालों की लाख कोशिशें नाकाम
स्थानीय पुलिस ने भी पंचायत के बाद संजय और ललिता से बात करने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने हर सलाह को ठुकरा दिया। वहीं, परिवार वाले भी रो-रोकर उन्हें समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन प्रेमी जोड़े का इरादा अडिग रहा।
समाज के लिए चेतावनी या प्रेम की आज़ादी?
इस पूरे मामले ने समाज को दो भागों में बाँट दिया है। एक ओर जहां लोग इसे पारिवारिक और सामाजिक ढांचे को तोड़ने वाला कृत्य मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रेम की आज़ादी का नाम भी दे रहे हैं।