BY: Yoganand Shrivastava
इंदौर: इंदौर और उज्जैन के किसान आज बड़ी संख्या में ट्रैक्टर रैली निकालकर हातोद से इंदौर पहुंचे। रैली में किसानों ने इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर को निरस्त करने, सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने, और मुआवजा दरें बढ़ाने जैसी मांगें रखी। किसानों ने प्रदर्शन के दौरान बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ भी नारेबाजी की। किसान कलेक्ट्रेट तक ट्रैक्टर ले जाने पर अड़े, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद उन्होंने एडीएम रोशन रॉय को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें प्रस्तुत कीं।
परियोजना से प्रभावित गांव और भूमि:
इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर परियोजना से इंदौर की सांवेर और हातोद तहसीलों के 20 गांव तथा उज्जैन जिले के 8 गांव प्रभावित हो रहे हैं। परियोजना के लिए कुल 188 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन अधिग्रहीत की जा रही है। कई किसानों की पूरी जमीन इस योजना में शामिल है, जबकि कुछ की जमीन के बीच से सड़क गुजरेगी, जिससे खेती करना मुश्किल हो जाएगा।
बिना सर्वे के योजना लागू करने का आरोप:
किसान नेता बबलू जाधव का कहना है कि सरकार ने बिना पर्याप्त सर्वे और आकलन के यह योजना लागू कर दी है, जिससे किसानों की आजीविका खतरे में है। उनका कहना है कि यह सड़क 2028 के सिंहस्थ को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है, जबकि उज्जैन जाने के लिए पहले से ही कई मार्ग उपलब्ध हैं जिन्हें चौड़ा करके उद्देश्य पूरा किया जा सकता है।
मुआवजा और फसल मूल्य पर नाराजगी:
किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा तय मुआवजा बाजार मूल्य से काफी कम है। कांकरिया के किसान वीरेंद्र चौहान ने बताया कि गाइडलाइन के अनुसार दोगुना मुआवजा देने की बात कही जा रही है, जबकि जमीन के वास्तविक दाम पांच गुना तक बढ़ चुके हैं। किसानों ने सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने, भावांतर योजना को स्थगित करने और प्याज के दाम बढ़ाने जैसी मांगें भी रखीं।
किसान नेताओं का कहना है कि लगातार नीतियों और योजनाओं में किसानों के हितों की अनदेखी हो रही है। जाधव ने कहा, “सरकार योजनाएं बना देती है, लेकिन अन्नदाता की स्थिति को समझने की कोशिश नहीं करती। इस सड़क से हमारी जमीनें जा रही हैं, पर मुआवजे में आसपास के 10 किमी तक कहीं भी जमीन नहीं मिल रही।”