BY: Yoganand Shrivastava
छत्तीसगढ़: बीजापुर जिले में विजयादशमी के दिन नक्सलवाद के खिलाफ एक ऐतिहासिक सफलता हासिल हुई है। जिले में कुल 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें से अधिकांश संगठन के सक्रिय और उच्च पदों पर तैनात थे। इन आत्मसमर्पण करने वालों में ऐसे कई नक्सली शामिल हैं, जिन पर कुल 1 करोड़ 6 लाख रुपये का इनाम घोषित था। बीजापुर के एसपी, डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि यह सरेंडर नक्सल संगठन में आंतरिक मतभेद और सरकार की “पूना मारगेम” और “लोन वर्राटू” अभियान के सकारात्मक प्रभाव के चलते हुआ। इन अभियानों के तहत नक्सलियों को पुनर्वास, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक पुनर्स्थापन की सुविधा प्रदान की जा रही है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में डीवीसीएम, पीपीसीएम, एसीएम, मिलिशिया कमांडर, जनताना सरकार के सदस्य और अन्य पदों पर रहे लोग शामिल हैं। इस सरेंडर के साथ ही नक्सल संगठन की राजनीतिक क्षमता और संगठनात्मक ताकत पर गंभीर असर पड़ा है।
सरेंडर की प्रक्रिया में यह स्पष्ट हुआ कि नक्सलियों का संगठन लगातार कमजोर हो रहा है। कई वरिष्ठ माओवादी नेताओं की मुठभेड़ों में मौत और आंतरिक विवादों ने अन्य नक्सलियों को भी आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित किया। डीआईजी कमलोचन कश्यप ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता, ग्रामीणों के साथ सकारात्मक संवाद और शासन की विकासोन्मुखी नीतियों ने भी नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रभावित किया। छत्तीसगढ़ सरकार की नई नक्सल पुनर्वास नीति के तहत, सरेंडर करने वाले माओवादियों को 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि, रोजगार, शिक्षा और समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलता है। जनवरी 2024 से अब तक बीजापुर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार मुठभेड़ और गिरफ्तारियों से नक्सल संगठन में बड़ी संख्या में टूट देखा गया है। इस सरेंडर के साथ ही नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों और प्रशासन की रणनीति को बड़ी सफलता मिली है और छत्तीसगढ़ में शांति और विकास की राह मजबूत हुई है।