BY: MOHIT JAIN
आज देशभर में दशहरे का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो महान भारतीय विभूतियों, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनके जन्मदिन पर याद किया।
प्रधानमंत्री मोदी सबसे पहले महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वे लाल बहादुर शास्त्री के समाधि स्थल विजय घाट भी गए और उन्हें नमन किया।
Delhi: Prime Minister Narendra Modi pays tribute to #MahatmaGandhi at Raj Ghat, on his birth anniversary today.
— ANI (@ANI) October 2, 2025
(Source: DD) pic.twitter.com/fONpuXeJa2
गांधी के आदर्शों को याद किया
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “गांधी जयंती प्रिय बापू के असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि देने का दिन है। उनके आदर्शों ने मानव इतिहास की दिशा बदल दी और दिखाया कि साहस और सादगी महान परिवर्तन के साधन बन सकते हैं।”
Gandhi Jayanti is about paying homage to the extraordinary life of beloved Bapu, whose ideals transformed the course of human history. He demonstrated how courage and simplicity could become instruments of great change. He believed in the power of service and compassion as… pic.twitter.com/LjvtFauWIr
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2025
मोदी ने यह भी कहा कि गांधी सेवा और करुणा की शक्ति को लोगों को सशक्त बनाने का मूल साधन मानते थे।
लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री ने देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शास्त्री को ईमानदार, विनम्र और दृढ़ संकल्प वाले नेता बताया, जिन्होंने भारत को मजबूती और दिशा दी।
पीएम मोदी ने कहा, “लाल बहादुर शास्त्री अनुकरणीय नेतृत्व, शक्ति और निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक थे। ‘जय जवान जय किसान’ के उनके आह्वान ने देशवासियों में देशभक्ति की भावना जगाई और आज भी वे हमें एक मजबूत, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं।”
स्वदेशी उत्पादों के महत्व पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गांधी और शास्त्री को सच्ची श्रद्धांजलि तब दी जा सकती है जब हम भारतीयों द्वारा निर्मित उत्पादों को खरीदें। उन्होंने कहा कि स्वदेशी अपनाना ही आत्मनिर्भर और विकसित भारत की नींव है।
गांधी का जन्म 1869 में गुजरात में हुआ था और वे सत्य व अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रभावशाली नेता बने। शास्त्री का जन्म 1904 में उत्तर प्रदेश में हुआ था और नेहरू की मृत्यु के बाद वे प्रधानमंत्री बने। उनके छोटे कार्यकाल में भारत-पाक युद्ध में उनके नेतृत्व और ईमानदारी ने उन्हें सार्वभौमिक सम्मान दिलाया।