BY: MOHIT JAIN
लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़ी एक खास बात बताते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका असली नाम कुछ और था। दरअसल, “शास्त्री” उनके नाम का हिस्सा नहीं था बल्कि यह एक उपाधि थी, जो उन्हें शिक्षा के दौरान प्रदान की गई थी। उनका वास्तविक नाम कुछ और ही था।
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का नाम देश की राजनीति में सादगी, संयम और ईमानदारी के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। संयोग से उनका जन्मदिन महात्मा गांधी के जन्मदिन से भी मेल खाता है, जिसे पूरा देश गांधी जयंती के रूप में मनाता है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद जब उन्होंने देश की बागडोर संभाली, तो उन्होंने अपनी नीतियों और नेतृत्व से भारत को नई दिशा दी। “जय जवान, जय किसान” का नारा देकर उन्होंने किसानों और सैनिकों को एक नई पहचान दिलाई।
क्या था लाल बहादुर शास्त्री का असली नाम?
बहुत से लोग नहीं जानते कि शास्त्री जी का असली नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। उनके नाम के आगे “शास्त्री” बाद में जुड़ा।
कैसे जुड़ा “शास्त्री” उनके नाम के आगे?
लाल बहादुर जी ने बनारस (काशी) विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की थी। वहां उन्हें संस्कृत का विद्वान होने पर “शास्त्री” की उपाधि दी गई। इसके बाद यह उपाधि उनके नाम के साथ हमेशा जुड़ी रही और लोग उन्हें लाल बहादुर शास्त्री के नाम से जानने लगे।
बचपन और संघर्ष की कहानी
लाल बहादुर शास्त्री का बचपन संघर्षों से भरा था। बहुत कम उम्र में उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद मां ने उनका पालन-पोषण किया। साधारण जीवन जीते हुए उन्होंने पढ़ाई की और देश की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया।
सिर्फ 16 साल की उम्र में वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। कई बार जेल गए, लेकिन देश के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण कभी कम नहीं हुआ।
पाकिस्तान को सख्त जवाब और ताशकंद समझौता
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारी हार दी। युद्ध के बाद उन्होंने 1966 में ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर किए ताकि शांति स्थापित हो सके। यह निर्णय आज भी भारतीय राजनीति और कूटनीति में ऐतिहासिक माना जाता है।
लाल बहादुर शास्त्री न सिर्फ एक नेता थे, बल्कि वह भारतीय राजनीति में सादगी, ईमानदारी और त्याग की मिसाल बन गए। उनका असली नाम भले ही लाल बहादुर श्रीवास्तव था, लेकिन उनकी पहचान “शास्त्री” के रूप में ही बनी और आज भी लोग उन्हें उसी नाम से श्रद्धा के साथ याद करते हैं।