BY : MOHIT JAIN
लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर (Tavistock Square) में स्थित महात्मा गांधी की ऐतिहासिक प्रतिमा पर सोमवार को अज्ञात उपद्रवियों ने आपत्तिजनक नारे लिख दिए। प्रतिमा पर पेंट से “गांधी, मोदी, हिंदुस्तान टेररिस्ट” जैसे शब्द लिखे गए, जिससे भारतीय समुदाय में गहरी नाराजगी फैल गई।
भारतीय उच्चायोग का बयान
भारतीय उच्चायोग ने इस घटना को “शर्मनाक और अस्वीकार्य” बताते हुए कहा कि यह महज एक प्रतिमा से छेड़छाड़ नहीं, बल्कि महात्मा गांधी की अहिंसा और शांति की विचारधारा पर सीधा हमला है।
उच्चायोग ने अपने बयान में लिखा:
@HCI_London is deeply saddened and strongly condemns the shameful act of vandalism of the statue of Mahatma Gandhi at Tavistock Square in London. This is not just vandalism, but a violent attack on the idea of nonviolence, three days before the international day of nonviolence,…
— India in the UK (@HCI_London) September 29, 2025
“यह सिर्फ तोड़फोड़ नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (2 अक्टूबर) से ठीक पहले गांधी जी की विरासत पर आघात है। हमने इसे गंभीरता से ब्रिटिश अधिकारियों के सामने उठाया है और प्रतिमा को पुनः उसकी गरिमा में बहाल करने का काम किया जा रहा है।”
ब्रिटिश अधिकारियों की कार्रवाई
स्थानीय प्रशासन और मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने घटना की पुष्टि करते हुए जांच शुरू कर दी है। वहीं, कैमेंडन काउंसिल भी प्रतिमा की मरम्मत और सुरक्षा के उपायों में जुट गई है।
गांधी जयंती से पहले हमला

ध्यान देने वाली बात यह है कि महात्मा गांधी की प्रतिमा पर यह हमला गांधी जयंती से सिर्फ तीन दिन पहले हुआ। हर साल 2 अक्टूबर को यहां भारतीय समुदाय और स्थानीय लोग इकट्ठा होकर गांधी जी को श्रद्धांजलि देते हैं। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र ने “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में भी मान्यता दी है।
प्रतिमा का इतिहास
- यह कांस्य (ब्रॉन्ज़) प्रतिमा मशहूर मूर्तिकार फ्रेडा ब्रिलियंट ने बनाई थी।
- इसे 1968 में अनावरण किया गया था, ताकि गांधी जी के लंदन विश्वविद्यालय (University College London) में छात्र जीवन को स्मरण किया जा सके।
- प्रतिमा पर लिखा है “Mahatma Gandhi, 1869–1948”।
- टैविस्टॉक स्क्वायर को बाद में कई शांति स्मारकों के कारण “लंदन का शांति उद्यान” (Peace Park) भी कहा जाने लगा।
गांधी जी की प्रतिमा पर यह हमला केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। यह घटना उन मूल्यों पर चोट करती है, जिनका प्रतीक महात्मा गांधी पूरी दुनिया में माने जाते हैं: सत्य, शांति और अहिंसा।