धनबाद। देश की जानी-मानी और कर्तव्यपरायण IAS अधिकरी डॉ. बीला राजेश का बुधवार को निधन हो गया। 55 वर्ष की उम्र में उन्होंने चेन्नई स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वर्तमान में वह तमिलनाडु में कमर्शियल टैक्स की प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत थीं। उनके निधन से प्रशासनिक जगत में गहरा शोक फैल गया है।
प्रशासनिक सफर की शुरुआत झारखंड से
डॉ. बीला राजेश 1997 बैच की IAS अधिकारी थीं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत झारखंड कैडर से की, लेकिन बाद में उन्होंने तमिलनाडु कैडर चुन लिया। लंबे प्रशासनिक जीवन में उन्होंने कई अहम पदों पर कार्य किया और अपनी ईमानदार व सख्त छवि के लिए जानी गईं।
वह मुख्यमंत्री सचिवालय में OSD भी रह चुकी थीं। लेकिन धनबाद के लोग उन्हें विशेष रूप से इसलिए याद करते हैं क्योंकि यहीं से उन्होंने पहली बार बतौर उपायुक्त अपनी सेवाएं दीं।
धनबाद की पहली महिला उपायुक्त
फरवरी 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने उन्हें धनबाद का उपायुक्त नियुक्त किया। 20 अप्रैल 2007 तक वह इस पद पर रहीं। इन तीन वर्षों में उन्होंने जिले में कई ऐतिहासिक कार्य किए और जनता के बीच एक सख्त लेकिन संवेदनशील अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई।
मैथन जलापूर्ति योजना: स्थायी समाधान
उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि रही धनबाद की पेयजल समस्या का समाधान।
- उनकी देखरेख में मैथन जलापूर्ति योजना के तहत 40 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई।
- इस योजना से शहरवासियों को पहली बार स्थायी जलापूर्ति व्यवस्था मिली।
आज भी लोग इस योगदान को स्वर्णिम अध्याय की तरह याद करते हैं।
विद्युत शवदाह गृह का पुनः संचालन
इसके अलावा उन्होंने मोहलबनी स्थित विद्युत शवदाह गृह को फिर से शुरू कराया। यह 1998 से विवादों के कारण बंद पड़ा था। 22 दिसंबर 2005 को डॉ. बीला राजेश ने इसे पुनः चालू किया, जिससे शहरवासियों को बड़ी राहत मिली और पुराने विवाद का समाधान भी हो गया।
सेवा, समर्पण और पारदर्शिता की मिसाल
डॉ. बीला राजेश को हमेशा उनके कामकाज की पारदर्शिता, जनहित के प्रति समर्पण, और नियमों से हटकर भी जनता के हित में निर्णय लेने की हिम्मत के लिए याद किया जाएगा।
उनके निधन के बाद न सिर्फ धनबाद और झारखंड, बल्कि पूरे तमिलनाडु प्रशासनिक हलकों में भी शोक की लहर दौड़ गई है। पूर्व सहकर्मी और आम नागरिक दोनों ही उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
डॉ. बीला राजेश ने अपने कार्यकाल से यह साबित किया कि एक प्रशासनिक अधिकारी केवल नियमों से बंधा कर्मचारी नहीं होता, बल्कि जनता का सेवक भी होता है। उन्होंने अपने कर्म, सेवा भाव और निडर निर्णयों से लोगों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी।